अतिक्रमण पर क्यों नहीं चलता स्थायी बुल्डोजर..?

बलिया, गाजीपुर और मऊ में अतिक्रमण के बीच परोस रहे विकास के स्वप्न
बलिया/गाजीपुर/मऊ। नगर एवं ग्रामीण इलाके में अतिक्रमण प्रशासन के लिए चुनौती बनता जा रहा है। अर्से से चला आ रहा अतिक्रमण खेल कभी खत्म नहीं होता। एक तरफ अतिक्रमण हटता है, तो दूसरी तरफ लग जाता है। आम जनता को दिखाने के लिए भले अभियान चले, लेकिन अंदरखाने इसकी सच्चाई कुछ और होती है। इससे होने वाले फायदे और नुकसान भी लोगों को मालूम है..। नगर के बीच अवैध रूप से दुकान चलाने वाले पुलिस एवं नगरपालिका की जेब भारी करते रहते हैं, तो ग्रामीण इलाके में अवैध रूप से कब्जा करने वाले जनप्रतिनिधियों का झंडा—डंडा ढोने का काम करते हैं।
पूर्वांचल के छोटे-बडे शहरों एवं जनपदों में विकास का स्वप्न परोसने वालों ने इसकी कद्र नहीं की। इन शहरों को मानो लावारिस छोड़ दिया। अतिक्रमण मुक्त करने का अभियान महज खानापूर्ति दिखता है। राजनीतिक दबाव में अधिकारी हाथ तक नहीं डालना चाहते। यहां कभी कानून का सख्ती से पालन तक नहीं होता।
बलिया शहर में रेलवे स्टेशन परिसर, मालगोदाम रोड, चित्तू पांडेय चौराहा, ओक्डेनगंज चौराहा, चौक, लोहापट्टी, सीनेमा रोड से लेकर कचहरी, तहसील के आस-पास, मिड्ढी चौराहा, टीडी कालेज से कचहरी मार्ग आदि पर अतिक्रमण का जाल बिछा हुआ है। तहसील मुख्यालयों का भी यही हाल है। इसी प्रकार गाजीपुर में रौजा से लेकर मिश्रबाजार, महुआबाग, चौक, लाल दरवाजा, लंका, रेलवे स्टेशन, अ​फिम फैक्ट्री से कचहरी रोड सहित अन्य इलाकों में अतिक्रमण देखा जा सकता है। इसके साथ ही मुहम्मदाबाद, सैदपुर, जमानिया, सेवराई, जखनियां समेत अन्य तहसील मुख्यालयों पर अतिक्रमण लोगों के लिए उबन एवं घुटन बन गया है। यही स्थिति मऊ जनपद के पुरानी तहसील सहादतपुरा, रोडवेज, भिंटी चौराहा, मुख्य बाजार सहित अन्य इलाकों में देखा जा सकता है। यह समस्या सालों से जस की तस बनी है। इन जनपदों में चंद दिनों के लिए अभियान चलाकर अतिक्रमण हटाया जाता है। बाद में इनके पक्ष में राजनीति होती है। अतिक्रमण को समाप्त करने के लिए आज तक स्थायी निदान नहीं निकल सका। क्योंकि यह अतिक्रमणकारी शासन एवं प्रशासन के लिए दूधारू पशु से कम नहीं हैं।
जनता भी अपनी मूल समस्या से इतर हटकर सोचने लगी है। नगर एवं गांव में अन्य समस्याएं आए दिन मुंह बाए खड़ी रहती हैं। इसी से लोग जूझ रहे हैं। हमारी बेहयाई, सहनशीलता और सडक, बिजली, पानी जैसी समस्या धीरे- धीरे थोडी और बूढी हो जाएगी। इसके बाद चुनाव आएगा और सबकुछ नये सिरे से सुना जाएगा। इसी तरह वक्त गुजरता जाएगा, आखिर अतिक्रमण पर कब चलेगा स्थायी बुलडोजर..?




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