कोटवा-लठ्ढूडीह -सियाड़ी संपर्क मार्ग गड्ढों में तब्दील, आवागमन ठप
अखिलानंद तिवारी
गाजीपुर/बलिया। मैं जीवित हूं, केवल जनता के लिए, लेकिन अब लोगों के आंसू देखे नहीं जाते। जब मेरा जन्म हुआ, तो बहुत खुश थी। शरीर हरा-भरा और स्वस्थ था। अब दुर्बल, जर्जर और जख्मी हूंं। भ्रष्ट ठेकेदारों और नौकरशाहों ने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा। अब पूरी तरह निवस्त्र हो चुकी हूं। तन ढकने के लिए सालों से तड़प रही हूं। लेकिन किसी को दया तक नहीं आती। मैं सिस्टम के गूंगे-बहरे नेता एवं अफसरोंं से कहती फिर रही हूं, मुझे एक बार में मौत दे दें, ताकि धरा से मेरा अस्तित्व मिट जाए।

अब भी जिंदा हूं, इस आस में शायद औरों को जिंदा रख सकूं। जिंदा रहने की कीमत भी चुकानी पड़ रही है। बाढ़ और बारिश में डूबोई जा रही हूं। निर्दयता पूर्वक कुचली और रौंदी जाती हूं। मेरे नाम पर लाखों की लूट-खसोट करने वाले आराम से चैन की नींद सो रहे हैं। आखिर इस दशा में मुझे पहुंचाने के लिए जिम्मेदार कौन है? उसे कौन दंडित करेगा? मुझ पर शर्मनाक अत्याचार होते रहे हैं, सब मौन तमाशा देखते रहे। किसी ने क्यों नहीं आवाज उठाई, मेरी पीड़ा उन तक क्यों नहीं पहुंचाई, जो मुझे जीवित कर सकें? योगी जी मुझ पर दया कीजिए, ताकि मैं जिंदा रहूं..।

यह कोटवां- लठ्ढूडीह -सियाड़ी मार्ग है। जिस पर हजारों गड्ढ़े हैं। सड़क पर जगह-जगह जलजमाव होने से आवागमन ठप है। इस मार्ग पर कई बार बड़े हादसे तक हो चुके हैं। दो किमी लंबा मार्ग सालों से खराब है। यह मार्ग उस गांव से होकर निकलता है, जिस गांव में जनपद की टापर छात्रा ने जन्म लिया है। अपनी समस्या सुनाते-सुनाते लोग पक चुके है। यकीनन अब लोगों का कलेजा कठोर हो गया है। सबकुछ सहने और झेलने की आदत सी पड़ गई है। क्योंकि आम जनता समझ चुकी हैं कि सरकार के कथनी और करनी में काफी अंतर है। सड़कों को गड्ढ़ा मुक्त करने का फरमान सालों से दौड़ रहा है। लेकिन यह केवल कागजों तक सीमित है। यहां हकीकत कुछ और है। लोगों को योगी सरकार से काफी उम्मीदें थी, लेकिन अब कोई सहारा नहीं है, जंग लडऩे के लिए कुछ लोग कदम जरूर बढ़ा रहे हैं, लेकिन उनकी स्थिति कटे हुए हाथों में तलवार देने जैसी है।
सरकार ने शिक्षा को ध्यान में रखते हुए बच्चों के स्कूल खोल दिए हैं। लेकिन स्कूल जाने के लिए सियाड़ी गांव के बच्चों के आगे संकट गहरा है। सियाड़ी संपर्क मार्ग जिसकी लंबाई दो किमी है, जो कोटवा-लठ्ढूडीह से होकर गाजीपुर मुख्य मार्ग में जाकर मिलता है। यह सड़क उधड़ चुकी है। इसके मरम्मत का कार्य 2017 में हुआ था। इसके कुछ ही माह बाद यह टूट कर बिखर गई। अब सड़क पर गिट्टी की जगह मिट्टी बची है। वह भी गढ़ों में तब्दील है। इस सड़क पर बनी पुलिया भी ध्वस्त हो चुकी है। इससे आवागमन पूरी तरह से प्रभावित है। लोक निर्माण विभाग खंड तृतीय ग्रामीण कई बार सड़क बनाने की गुहार लगा चुके हैं, लेकिन तीन वर्षों से खराब पडी सड़क को बनाया नहीं जा सका है। इससे लोगों में लोनिवि के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ काफी आक्रोश है। लोक निर्माण विभाग खंड तृतीय के कार्यालय से ग्रामीणों ने संपर्क किया तो उनका कहना है कि जेई सहाब छुट्टी पर हैं। उनका मोबाइल बंद है। सहायक अभियंता अखिलेश यादव से जब इस बाबत ग्रामीणों ने पूछा तो, जवाब मिला हम रास्ते को ठीक कराने में असमर्थ हैं। इसके बाद फ़ोन उठाना बंद कर दिए। सामाजसेवी धनंजय राय, विपिन राय, मैकूबाबा, विनोद राम, राम सजीवन राम आदि ग्रामीणों ने सड़क को जल्द से जल्द दुरूस्त कराने की मांग की है। ऐसा नहीं हुआ तो ग्रामीण आंदोलन का रास्ता अख्तियार करने के लिए मजबूर होंगे।