‘मुख्तार’ व ‘अफजाल’ को बसपा पर भरोसा, लेकिन साइकिल पर सवार हैं ‘सिबगतुल्लाह’..?

गाजीपुर। “कल सियासत में भी मोहब्बत थी, अब मोहब्बत में भी सियासत है…।” राजनीति हर समय अपने रंग-ढंग बदलती रहती है। इस उलटफेर पर लोगों की निगाहें भी तनी रहती है। छोटी-बड़ी तब्दीलियों को आम मतदाता भले नजरअंदाज कर दें, लेकिन तब सियासी गलियारे में राजनीति दिलचस्प हो जाती है, जब घर में ही दो राहे और तीराहे बन जाते हैं। ऐसा ही कुछ इन दिनों अंसारी बंधुओं के यहां देखने को मिल रहा है। देखा जाए तो राजनीति में बड़ा कद और पद मिलना भले ही वक्त की नजाकत हो, लेकिन बुलंदी को लंबे समय तक बरकरार रखना एक कठिन चुनौती है और यहां ज्यादातर के हिस्से में रही है। इसी लिए अंसारी बंधुओं की जनपद में अलग पहचान भी है। अच्छे-बुरे वक्त में एक साथ रहने वाला परिवार, एक दल में अपनी आस्था-निष्ठा को डूबोता रहा है। लेकिन पहली बार ऐसा देखा जा रहा है कि घर में सियासी दो राहे बन गए और पूर्व विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी सपा में पुन: शामिल हो साइकिल पर सवार हो गए हैं। लेकिन बसपा सांसद अफजाल अंसारी एवं मऊ के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी हाथी पर सवार हैं।

पूर्वांचल की राजनीति में अंसारी बंधुओं का काफी हद तक दखल देखने को मिलता है। इनमें कई सीटों पर उलटफेर करने की क्षमता है, ऐसा लोगों का मानना है। यही वजह रहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में गाजीपुर की सीट से विकास पुरूष मनोज सिन्हा को हार का मजा चखना पड़ा। यह तब हुआ जब यूपी में भाजपा की सरकार भी थी। कई बार राजनीतिक रूप से हाशिए पर रहने के बावजूद अंसारी बंधु अपनी धमाकेदार वापसी कर सबको आश्चर्य में डालने का भी काम किए हैं। इतना ही नहीं राष्ट्रीय पार्टियों से दूर रहने के बाद भी अपनी पार्टी बना ली और अपनी पकड़ एवं क्षमता का लोहा मनवाया है।

राजनीति के महायोद्धा कहे जाने वाले अफजाल अंसारी ने अपने पुराने रंग को कभी नहीं छोड़ा। इसी कारण प्रमुख दलों में यह सवाल हमेशा उठता रहा कि आखिर अंसारी बंधुओं में ऐसा क्या है, जिसके चलते खासकर सपा और बसपा का भरोसा हमेशा कायम रहता है। कुछ लोग यह भी दावा करते हैं कि राजनीति में मजबूत उम्मीदवार की बहुत जरूरत होती है और अंसारी बंधु इसे साबित करने में अक्सर खरे उतरे हैं। आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी गलियारे में दबे-छिपे अटकलें लगाई जा रही है, उस पर नजर डालें तो यह कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले समय में दिग्गज भी हाथी से उतरकर साइकिल पर जा सकते हैं। लेकिन इसकी अभी कोई पुष्टि करने वाला नहीं है। भाईयों के अलग-अलग दल में होने के बाद भी कल और आज में कुछ नहीं बदला है। “कल सियासत में मोहबबत थी….।”

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