जल से टापू बने बाढ़ प्रभावित इलाकों की ठप होगी विद्युत आपूर्ति !
नरहीं। गंगा, टोंस, मगई नदी ने इलाके में कई गांवों को टापू में तब्दील कर दिया है। साथ ही अब तक हजारों एकड़ फसल जलमग्न हो चुकी है। पशुपालकों को अब चारे के संकट की चिंता सताने लगी है। इलाके में भूसा भी नहीं मिल पा रहा है। बाढ़ के पानी में डूबी हुई फसलों को काटने से किसान कतरा रहे हैं। क्योंकि हमेशा सांप -बिच्छू का डर बना रहता है।

अब बाढ़ में डूबी हुई फसलें एक सप्ताह के अंदर सड़ जाएंगी। इसके बाद मवेशियों को चारे के संकट से जूझना पड़ सकता है। पूरा इलाके में जल प्रलय जारी है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि जिला प्रशासन इलाके में अभी तक नाव तक की भी व्यवस्था नहीं कर पाया है।पशुपालक अपने स्तर से ही दियारे से मवेशियों के लाने में जी जान से जुटे हुए हैं। अब तो इच्छाचौबे का पूरा, शाहपुर बभनौली, रैयाखाड़ी, गंगहरा, सरवनपुर टापू में तब्दील हो चुका है। एसडीएम सदर जुबेर अहमद ने बताया कि स्थानीय नाविकों को नाव चलाने के लिए चिन्हित किया जा रहा है। बहुत जल्द ही नाव को लगाया जाएगा।

इच्छाचौबे के पूरा में बैरिया- थम्हनपुरा मार्ग पर रह रहे 30 बाढ़ पीड़ितों को मंगलवार को त्रिपाल दिया गया। इनके भोजन का भी इंतजाम जिला प्रशासन के माध्यम से कराया जाएगा। सपा नेता वंशीधर यादव ने बाढ़ प्रभावित गांवों का एसडीएम सदर को वस्तु स्थिति से अवगत कराया। जल्द राहत बचाव उपलब्ध कराने की मांग की। शाहपुर बभनौली प्राथमिक विद्यालय में 60 बाढ़ पीड़ित परिवार के साथ शरण लिए हुए हैं। जिनमें से शिवकुमार, रामजीत, संजय, सुदामा, राजेश पांडेय, दयाशंकर, गंगाजल, सुखराम सहित 60 परिवारों ने विद्यालय में शरण ले ली है।जबकि अन्य बाढ़ पीड़ित अपने सामानों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में लगे हुए हैं। इच्छाचौबे के पूरा गांव में 35 बाढ़ प्रभावित परिवार बैरिया थम्हनपुरा मार्ग पर अपना नया आशियाना बसा चुके हैं। इनके सामने भोजन की भी समस्या उत्पन्न हो गई है। बाढ़ प्रभावित गांव के संदर्भ में विद्युत उपकेंद्र चितबड़ागांव के जेई विपिन कुमार सिंह ने बताया कि आज बाढ़ के पानी का जायजा लिया जाएगा। जरूरत पड़ी तो बाढ़ प्रभावित गांव की बिजली आपूर्ति ठप की जा सकती है।