यहां..शनिदेव की महिमा है महान, सबकी मनोकामनाएं होती है पूरी

गाजीपुर। *मुश्किल में है तेरा संसार, कैसे होगा अब उद्धार। कोई करो आकर चमत्कार, सब पर तेरा है अधिकार…।।* सूर्य पुत्र शनिदेव की महिमा अपार है। वह देवताओं में अति शक्तिशाली हैं। यह मृत्युलोक के ऐसे स्वामी हैं, जो व्यक्ति के अच्छे-बुरे कर्मो के आधार पर उन्हें दंडित कर सुधरने का एक मौका भी देते हैं। शनिदेव का मनुष्य के जीवन में अद्भुत महत्व है। ऐसा माना जाता हैं कि क्लेश, दु:ख, पीड़ा, व्यथा, व्यसन, पराभव आदि सारी समस्याओं के जड़ में शनि की साढ़ेसाती होती है। इस कारण शनि देव की पूजा नियमित करने से सुख समृद्ध और समस्याओं से मनुष्य को छुटकारा मिलता है। शनि देवता उन्हीं को दंडित करते हैं, जो बुरा कर्म करते हैं। अर्थता विधि का यही विधान है, *जो जैसा करेगा, वो वैसा भरेगा।*

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हम बात कर रहे हैं जिला मुख्यालय से करीब २२ किमी दूर स्थित अन्नपूर्णा शिव शक्तिपीठ वैदिक आश्रम पुरैना, करंडा में स्थित शनि मंदिर के अलौकिकता की। विश्व विख्यात ज्योतिषाचार्य दीपक दुबे के पूर्वजों द्वारा शनि मंदिर की स्थापना की गई। पिछले साल इस पुराने मंदिर का जीर्णोद्धार कर श्री दुबे ने शनि महिमा की कृपा प्राप्त की है। यहां लोग पूरे यकीन और आदरभाव से शनिदेव की प्रतिदिन पूजा-अर्चना करने आते हैं। शनिवार को मंदिर में श्रद्धालुओं की अधिक भीड़ जुटती है। मंदिर की ऐसी मान्यता है कि जो एक बार शनिदेव के दर्शन कर सच्चे मन से जो कामना करता है, वह जरूर पूरी होती है। शनि अमावस्या के दिन गैर जनपदों से भी लोग यहां शनिदेव की पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते है।

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आलम यह है कि सावन में प्रतिदिन वैदिक आश्रम पर भजन संध्या और पूजा-अर्चना की जाती है। बड़े कार्यक्रमों में गायक शनिदेव की महिमा का गुणगान करते हैं। प्रभु के बनाए नियमों के अनुसार शनिदेव बहुत जल्द खुश और स्वार्थवस गलत काम करने पर बहुत जल्द रूष्ट भी होते हैं। शनि भगवान मोक्ष प्रदाता माने जाते हैं, इनकी पूजा करने वालों का सदैव शुभ होता है। शनिदेव के प्रति सच्ची आस्था रखकर उनकी पूजा-अर्चना करने वाला और सच्चाई के मार्ग पर चलने वाला सदा सुखी रहता है। देखा जाए तो सच्चे भक्तों के ऊपर शनिदेव की साढ़ेसाती का कोई प्रभाव नहीं होता।
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प्रसिद्ध ज्योतिषी दीपक दूबे की माने तो एक राशि में शनि ढ़ाई साल तक रहते हैं। इस प्रकार तीन राशि में शनि का निवास होना ही साढ़ेसाती कहलाती है। इस बीच शनिदेव साढ़े सात साल तक काफी तकलीफ देते हैं। यह आफत और मुसीबतों का समय होता है। किवदंती के अनुसार बड़े-बड़े राजा और रंक भी साढ़ेसाती के प्रभाव में आए और उनका सबकुछ छीन गया। इसमें राजा विक्रमादित्य भी शामिल थे। उन्होंने बताया कि जिस राशि में साढ़ेसाती लगती है, उस राशि के जातक को शनि महामंत्र के २३ हजार मंत्रों को साढ़ेसात वर्षो के भीतर करना अनिवार्य होता है। चाहे तो शनि महामंत्र के जाप को २३ दिन के भीतर पूरा करने से यह और फलदायी होता है। इसके लिए जरूरी है कि जातक को शनि महामंत्र जाप एक ही बैठक में नित्य एक ही स्थान पर करना चाहिए।
*ऊं निलांजन समाभासम्, रविपुत्रम् यमाग्रजम्। छाया मार्तंड संभूतम, तम नमामि शनैश्चरम्।*

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