जिला कारागार के अन्य अधिकारियों पर भी गिर सकती है गाज!
बलिया। पूर्वांचल का एकमात्र जेल, जहां आने से अधिकारी तक कतराते हैं। देखा जाए तो बलिया जिला कारागार हमेशा से सुर्खियों में रहा है। एक हफ्ते पहले जिला जेल में बढ़ाई गई सख्ती, आला अफसरों की औचक छापेमारी तथा तीन दबंग कैदियों का गैरजनपद स्थानांतरण के बाद चाहरदीवारी में बंद कैदियों ने हंगामा खड़ा कर दिया। कैदियों की भूख हड़ताल से लेकर तोडफ़ोड़ एवं उत्पात जारी रहा।

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इस दौरान जेल में कैदियों के बैरकों से भारी मात्रा में मिले मोबाइल, चार्जर एवं अन्य आपत्तिजनक सामानों की रिपोर्ट शासन को भेज दी गई। इसे संज्ञान में लेते हुए प्रथम दृष्टया जेल अधीक्षक यूपी मिश्रा को दोषी पाते हुए शासन ने निलंबित कर दिया है। इसकी पुष्टि पुलिस महानिरीक्षक कारागार एके सिंह ने की है। साथ ही जेल के अन्य जेल अधिकारियों एवं कर्मचारियों की जांच अभी लंबित है। उन पर भी कार्रवाई होना तय बताया जा रहा है।

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जिला कारागार बलिया में बीते आठ अगस्त को जिलाधिकारी एवं पुलिस कप्तान ने औचक छापेमारी की थी। जेल के अलग-अलग बैरकों से पांच मोबाइल और चार्जर बरामद किए गए थे। इस घटना के दूसरे दिन जेल अधीक्षक के नेतृत्व में हुई चेकिंग के दौरान १४ और मोबाइलें बरामद की गई। निरंतर निगरानी, जांच एवं सख्ती के बाद कैदियों को मिलने वाली सुविधाएं छीन गई। इससे उनमें आक्रोश पनपने लगा। इसी बीच जेल में बंद तीन दबंग कैदियों का गैरजनपद स्थानांतरण भी कर दिया गया। उधर जेल के भीतर कैदियों की भूख हड़ताल, तोडफ़ोड़ एवं बढ़ते उत्पात को तीन दिन बाद अधिकारियों ने बातचीत कर किसी तरह शांत किया।

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इस दौरान जेल में मिले निषिद्ध सामग्री एवं जेल अधीक्षक समेत अन्य अधिकारियों एवं कर्मचारियों की लापरवाही की जांच शासन स्तर से की जा रही थी। प्रथम दृष्टया जेल अधीक्षक को दोषी करार देते हुए शासन ने निलंबित कर दिया है। इस संबंध में डीआईजी कारागार का कहना है कि अभी तक केवल जेल अधीक्षक यूपी मिश्रा ही निलंबित किए गए हैं। एक माह पहले श्री मिश्रा की जिला कारागार में तैनाती हुई थी। अन्य अधिकारियों एवं कर्मचारियों की गर्दन पर तलवार लटक रही है। अभी कई लोगों पर कार्रवाई शेष है…।