अरे! यह क्या, फिर चर्चा में हैं मऊ के दबंग डाक्टर, पत्रकारों की मोबाइल छीनी वीडियो और फोटो डिलीट कराए…

मऊ। जिला अस्पताल में तैनात एक चिकित्सक के व्यवहार से सभी दु:खी हैं। मरीज, तीमारदार ही नहीं, समाज के प्रहरियों से भी बलसलूकी का मामला प्रकाश में आया है। चिकित्सक के इस दबंगई की मुख्य वजह उनका सत्तारूढ् पार्टी में अच्छी पकड़ एवं बड़े भाई का सफेदपोश होना बताया जाता है। वह एक बड़े दल के संगठन का नेतृत्व भीकरते हैं। गुरुवार को भी चिकित्सक के कारनामों की पूरे शहर में चर्चा होती रही।

सत्ता दल से करीबी रिश्ता जुडऩे के कारण घमंड में चूर जिला अस्पताल के चिकित्सक खुद को सबसे ऊपर मानते हैे। वह लोगों को आए दिन धमकाते और चमकाते रहते हैं। उनके इस व्यवहार से विभागीय अधिकारी भी उनके आगे घुटने टेकते हैं। उनसे जवाब-सवाल करना तो दूर, कोई कुछ कहने की हिमाकत तक नहीं करता। वह अस्पताल आने वाले पीडि़त मरीजों, तीमारदारों तथा आम लोगों से बात-बात में उलझ जाते हैं। लोगों के साथ आए दिन दुव्र्यवहार करते है। उनकी शिकायत तक कहीं नहीं सुनी जाती, क्योंकि उनके भाई एक प्रमुख दल के वरिष्ठ नेता हैं। योगी सरकार में सत्ता का नाजायज फायदा उठा रहे इस चिकित्सक से लोग धीरे-धीरे आजिज आ चुके हैं। गुरुवार को हुआ कुछ यूं कि एक राजभर परिवार अपने मरीज की हालत बिगडऩे पर उसे जिला असपताल से रेफर करने की गुहार कर रहा था। इसके बाद चिकित्सक उन पर पिल पड़े। उनकी पर्ची फेंक दी और कहा कि यह किसी के बाप का अस्पताल नहीं है और यहां किसी के कहने से कु छ नहीं होता, जो हम चाहेंगे वहीं करना होगा। इसे लेकर अस्पताल में काफी देर तक हो-हल्ला होता रहा। इसके बाद वहां पहुंचे पत्रकारों ने जब घटना की वजह जानने का प्रयास किया, तो उन्हें जाने के लिए कहने लगे। इसके बाद पत्रकारों के पूछने पर उनसे भी बदसलूकी की।

पीडि़त तीमारदारों एवं नगर के लोगों का कहना है कि सरकारी चिकित्सक होते हुए भी वह शहर के पुरानी तहसील पर एक निजी अस्पताल चलाते हैं। इनता ही नहीं अपना एक निजी एंबुलेंस भी जिला अस्पताल में रखकर मरीजों को यहां से अपने अस्पताल भेजने का काम करते हैं। पत्रकारों ने जब उनके एंबुलेंस की फोटो खींचना और वीडियो बनाना शुरू किया, तो वह उन पर भड़क गए और मोबाइल छीनवा लिए। इसके बाद सारे वीडियो तथा फोटो डिलिट कराया। लेकिन एक मोबाइल से बैकअप में कुछ फोटो और वीडियो मिल गए। अब इसकी शिकायत लोगों ने उच्चाधिकारियों से की है, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

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