हाईकोर्ट का अहम फैसला: शिक्षक दंपति को एक जिले में नियुक्ति पाने का अधिकार



प्राथमिक विद्यालय के सहायक अध्यापक बहुत जल्द शिक्षक पत्नियों के आस-पास नौकरी करेंगे..
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ा रहे सहायक अध्यापकों को बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट ने कहा है कि पति -पत्नी को एक ही जिले में नियुक्ति पाने का कानूनी अधिकार है। कोर्ट ने अंतर जिला स्थानांतरण के मामले में ऐसे अध्यापकों को सहूलियत देने का काम किया है, जिनकी पत्नियां अध्यापक हैं और वह अपने ससुराल वाले जिले में नियुक्त हैं।इसके अलावा कोर्ट ने ऐसे अध्यापकों की भी समस्या का सामाधान किया है जो स्वयं अथवा उनके माता-पिता किसी असाध्य रोग से पीड़ित हैं। कोर्ट ने साफ आदेश दिया है कि अध्यापकों को एक जनपद में पांच साल की सेवा अनिवार्यता में छूट पाने के हकदार हैं। बेसिक शिक्षा सचिव को चार सप्ताह के अंदर इस पर विचार कर निर्णय लेने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुमित कुमार ने संजय सिंह, राजकुमार सिंह, वीर सिंह, अरुण कुमार एवं अन्य की याचिकाओं पर दिया है। पीड़ित याचीगणों का कहना था कि हमारी सेवा पांच साल की नहीं हुई है, लेकिन उनकी पत्नियां दूसरे जिलों में नियुक्त हैं। उनका भी उसी जिले में स्थानांतरण किया जाए, जहां उनकी पत्नियां कार्यरत हैं।
इस पर बेसिक शिक्षा परिषद के अधिवक्ता ने विरोध करते हुए कहा कि पांच साल सेवा की अनिवार्यता में महिलाओं को छूट दी गई है। लेकिन पुरुषों को ऐसी छूट नहीं है। इसलिए स्थानांतरण की मांग पत्नियां कर सकती हैं, पुरुष अध्यापक नहीं। महिलाओं को अपने ससुराल वाले जिले में नियुक्ति पाने का अधिकार है। इस मामले में याचीगणों की पत्नियां पहले से ही अपने ससुराल वाले जिले में कार्यरत हैं। ऐसे में वह स्थानांतरण की मांग नहीं कर सकते। कोर्ट ने कहा कि शिक्षक पति- पत्नी को एक जनपद में नियुक्ति पाने का अधिकार है। साथ ही सचिव बेसिक शिक्षा परिषद यात्रीगण के प्रत्यावेदन पर चार सप्ताह के अंदर विचार करने का आदेश दिया है।
हाईकोर्ट द्वारा अंतर जिला स्थानांतरण के मामले में शिक्षकों को राहत मिलने की खबर से बेसिक शिक्षा विभाग में खुशी की लहर दौड़ गई है। हाईकोर्ट ने कहा है कि शिक्षक पति और पत्नी को एक ही जनपद में नियुक्ति पाने का अधिकार है। अब ऐसे शिक्षक जो अपनी पत्नियों से दूर हैं वह बहुत जल्द उसी जिले में तैनाती पाने के हकदार होंगे।



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