लाइब्रेरी के उद्घाटन पर “स्वाधीनता आंदोलन में हिंदी साहित्य की भूमिका” पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी

एकौना नेशनल लाइब्रेरी के उद्घाटन पर साहित्यकारों का जमवड़ा,
बलिया। एकौना डिफेंस एकेडमी एवं एकौना नेशनल लाइब्रेरी का उद्घाटन मंगलवार की शाम मुख्य अतिथि पर्यावरणविद् एवं समाजसेवी डॉ. अर्जुन पांडेय द्वारा फीता काटकर किया गया। साथ ही ‘स्वाधीनता आंदोलन में हिंदी साहित्य की भूमिका’ विषय पर एक अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन आजादी के अमृत महोत्सव‌ के अवसर पर किया हुआ। संगोष्ठी का शुभारंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती एवं भारत माता के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्जवलन के साथ किया गया।
संगोष्ठी में पधारे सभी अतिथियों एवं गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए एकेडमी के प्रबंध निदेशक प्रवीण मिश्र ने कहा कि भारतीय नौसेना में अपनी 15 साल उत्कृष्ट सेवा देने के उपरांत मैंने समाज एवं राष्ट्र के युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए एकेडमी का शुभारंभ करने का संकल्प लिया, जिसको आज मूर्त रूप प्रदान कर रहा हूँ। मेरा लक्ष्य है कि अधिक से अधिक अपने क्षेत्र के युवा देश की सेवा के लिए तैयार हो। जिससे देश की रक्षा व विकास हो सके। मुख्य अतिथि डॉ. अर्जुन पांडेय ने मंच के माध्यम से बागी बलिया के मंगल पांडेय एवं चित्तू पांडेय की कुर्बानी को याद करते हुए कहा कि जब तक धरती रहेगी तब तक जंगे आजादी के दीवानों को सदा याद किया जाता रहेगा। आज तिरंगे के सम्मुख सारी दुनिया नतमस्तक है। चार पंक्तियों के माध्यम से एक सार्थक संदेश देते हुए डॉ. पांडेय ने आगे कहा कि “सच सच कहना प्रिय तिरंगे, आज नहीं रहना तुम मौन। हाथ बहुत फहराने वाले, लेकिन तुम्हें समझता कौन। वही विशिष्ट अतिथि के रूप में अपना संबोधन प्रस्तुत करते हुए इतिहासविद् एवं प्रोफेसर अरुण कुमार मिश्र ने कहा कि सैन्य शिक्षा के क्षेत्र में एकौना डिफेंस एकेडमी एवं एकौना नेशनल लाइब्रेरी का शुभारंभ किया जाना समय की मांग है। मुझे पूरा विश्वास है कि समाज एवं बलिया जिले के युवाओं के विकास में इस एकेडमी की उल्लेखनीय भूमिका रहेगी। युवा साहित्यकार एवं विचारक डॉ. शिवम् तिवारी ने कहा कि स्वाधीनता आंदोलन में क्रांतिकारियों द्वारा दी गई कुर्बानी का ही परिणाम है कि आज आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर देश और दुनिया में अमृत महोत्सव बड़े धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। स्वाधीनता आंदोलन में साहित्यकारों की भूमिका को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। नॉर्वे में प्रवास कर रहे प्रवासी भारतीय डॉ. सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’ ने वीडियो के माध्यम से अपने संदेश में कहा कि देश की आजादी को बरकरार रखने के लिए आज इस बात की आवश्यकता है कि देश प्रेम को सर्वोपरि रखते हुए हर एक नागरिक अपना कर्तव्य समझकर अपने हिस्से का योगदान समाज को निश्चल भाव से अर्पित करें।बनॉटिंघम यू के से प्रवासी भारतीय साहित्यकार जय वर्मा,साहित्य मनीषी डॉ. रघुनाथ उपाध्याय सुंदरम फाउंडेशन के संस्थापक मनोज चंद तिवारी डॉ. सुनील कुमार ओझा पशुपति नाथ ओझा, हृदयानंद सिंह, राजेंद्र सिंह तथा अमित चौबे सहित कई वक्ताओं ने संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए देश की आजादी पर अपने -अपने विचार रखे।कार्यक्रम की अध्यक्षत साहित्य मनीषी डॉ. रघुनाथ उपाध्याय तथा संचालन किया। इस मौके पर अनूप सिंह, अभिषेक उपाध्याय, अमित प्रसाद के साथ-साथ सैकड़ों गणमान्य व्यक्ति एवं छात्र- छात्राओं की उपस्थित रहे।संगोष्ठी के उपरांत तिरंगा रैली का आयोजन किया गया साथ ही पांच वृक्ष लगाकर समाज को प्रकृति पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया गया।

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