मिर्जापुर। जिले में तीन सगी बहनों के नर कंकाल मिलने से सनसनी फैली हुई है। थाना क्षेत्र के हर्रा जंगल में पिछले एक माह से तीनों बहनें लापता हो गई थीं। बुधवार को इनका कंकाल मिला। घर वालों की मानें तो तीनों घर से दवा लेने की बात कह निकली थी। इनकी काफी दिनों से खोजबीन चल रही थी। परिजनों ने उनके कंकाल के पास से मिले छाता एवं उनके कपड़ों उनकी पहचान की। मौके पर पहुंची पुलिस ने नर कंकाल को कब्जे में लेकर जांच-पड़ताल शुरू कर दी है। एक साथ तीन बहनों का कंकाल मिलने से पुलिस महकमे में अफरा-तफरी मची हुई है। फिलहाल पुलिस ने कुछ बताने से इंकार किया है।

पूर्वांचल के मिर्जापुर जनपद में हुई इस घटना में सबको दहला दिया है। हलिया अंतर्गत बेलाही गांव की रहने वाले देवीदास पाल की पत्नी सीमा की तीन बेटियां मुन्नी, ममता और गोलू एक माह पहले घर से दवा लेने की बात कहकर निकली थी। तीनों की उम्र आठ से 12 साल है। तीनों बच्चियां जंगल तक कैसे पहुंची और वहां उनके नर कंकाल मिलने का रहस्य क्या है, पुलिस इस छानबीन में जुटी हुई है ?
बीते 16 अगस्त से ही तीनों बच्चियां लापता थीं। उधर 18 अगस्त को देवीदास की पत्नी सीमा अपने मायके सुखड़ा बेलगवां गांव अकेले पहुंची।परिजनों ने जब सीमा से तीनों बच्चियों के बारे में पूछा तो उसने बेटियों को इंदौर में एक महिला के पास भेजने की बात कही।
बताया कि इंदौर रेलवे स्टेशन पर एक महिला के पास तीनों बच्ची सुरक्षित हैं। कुछ दिन बाद जब सीमा का पति और भाई रमाकांत इंदौर उन्हें लेने गए, तो वहां बच्चियां नहीं मिलीं।
परिजन बच्चियों को खोज ही रहे थे कि इसी बीच बुधवार को चरवाहों से सूचना मिली कि हर्रा जंगल में तीन कंकाल पड़े मिले है। कंकाल मिलने की जानकारी होते ही सीमा का भाई रमाकांत व पति देवीदास जंगल में पहुंच गए।कंकाल के पास मिला छाता व उनके कपड़े से बच्चियों की पहचान की गई है।
देवीदास की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस तीनों बच्चियों के कंकाल को कब्जे में लेकर मामले की जांच पड़ताल में जुट गई है।घटना के बाद सीमा मायके से रफूचक्कर हो गई है।
एएसपी नक्सल महेश सिंह अत्री ने बताया कि हर्रा जंगल में तीन कंकाल मिले हैं। परिजनों ने कंकाल के पास मिले छाता व उनके कपड़े के आधार पर लापता तीन बच्चियों के रुप में पहचान की। फिलहाल तीनों कंकाल को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।