अब छात्रों को यूनिफार्म से नहीं पहुंचेगी पीड़ा….

लखनऊ/बलिया। बच्चों के लिए शासन खुशखबरी लेकर आया है। इस साल परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे अपनी पसंद के दुकानों से ड्रेस खरीदकर पहनेंगे। इसके लिए शासन स्तर से सीधे अभिभावकों के खाते में धन देने की तैयारी पूरी कर ली गई है। स्कूली ड्रेस के लिए छात्रों के अभिभावकों से बैंक खाता नम्बर लिया जा रहा है। साथ ही साथ इसकी कोडिंग भी कराई जा रही है। कोरोना काल से पूर्व ड्रेस वितरण का जिम्मा विद्यालय प्रबंध समिति को दिया गया था। जहां प्रति छात्र 600 रुपये के हिसाब से ड्रेस की धनराशि संबंधितों के खाते में भेज दी जाती थी। जहां से प्रधानाध्यापक अपने मर्जी अनुसार किसी दुकान या डीलर से ड्रेस खरीदकर विद्यार्थियों को उपलब्ध कराते थे। विभागीय हीलाहवाली एवं लापरवाही से बच्चों में पूरे सालभर तक स्कूली ड्रेस का वितरण चलता रहता था। कई स्कूलों से ड्रेस की गुणवत्ता भी ठीक नही रहती थी। इस तरह की शिकायतों को दूर करने के लिए सरकार ने नया तरीका निकाला है। एमडीएम के कन्वर्जन कास्ट की तरह अब ड्रेस का पैसा भी बच्चों के अभिभावकों के खाते में सीधे डीवीटी (डायरेक्ट बेनेफिट ट्रान्सफर) के जरिये भेजने का निर्णय लिया गया है। पंजीकृत छात्र छात्राओं को शासन की ओर से निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ ड्रेस, जूता-मोजा, स्वेटर, स्कूली बैग आदि की सुविधा निःशुल्क उपलब्ध कराने के योजना की कोशिश शुरू की गई है। इसके लिए सभी संबंधित छात्रों व उनके अभिभावकों के आधार नम्बर और बैंक एकाउंट नम्बर लिए जा रहे है। खंड शिक्षा अधिकारी सैदपुर राजेश सिंह ने बताया कि ड्रेस के लिए इस बार अभिभावकों के सीधे खाते में पैसा भेजा जाएगा। लगभग 90 प्रतिशत छात्रों के अभिभावकों का डिटेल सम्बंधित पोर्टल पर फीड किया जा चुका है जल्द ही सभी औपचारिकता पूरी कर धन भेजा जाएगा।

जनपद के 226472 छात्रों को ड्रेस खरीदने की स्वतंत्रता
बलिया।
बीएसए कार्यालय के मुताबिक जनपद में परिषदीय विद्यालयों की संख्या कुल 2054 है। जिसमें पढऩे वाले छात्रों की संख्या २२६४७२ है। जबकि परिषदीय उच्च प्राथमिक विद्यालयों की संख्या 615 और यहां कक्षा छह से लेकर आठ तक पढऩे वाले विद्यार्थियों की संख्या ६४३१८ है। इनमें से प्राथमिक विद्यालय के छात्रों को अपनी पसंद का ड्रेस खरीदने व पहनने की स्वतंत्रता मिली है। इन छात्रों के अभिभावकों के खाते में सीधे शासन ड्रेस का पैसा भेजेगा। ऐसा होने से अब ड्रेस वितरण का कार्य करने वाले ठेकेदारों को जहां करारा झटका लगा है, वहीं छात्र और अभिभावकों के चेहरे पर मुस्कान तैरनी लगी है।

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