बाढ़ पीडि़तों का दर्द: आएं जितनी भी बलाएं, न तिलमिलाएं…

अखिलानंद तिवारी

वाराणसी, गाजीपुर, बक्सर और बलिया में डेंजर लेवल पार कर चुकी गंगा
कई शहरों में घुसा बाढ़ का पानी और डूब क्षेत्र से पलायन जारी..

बलिया। आएं जितनी भी बलाएं, न तिलमिलाएं एक दूसरे के कंधे का अवलंबन लिए, कठिन वक्त में बढ़ते जाएं। यह बातें उन बाढ़ पीडि़तों से कहना है,जो अभी से हिम्मत और हौसला हारने लगे हैं। जीवनदायनी गंगा नदी वर्तमान समय में वाराणसी, गाजीपुर, बक्सर (बिहार) और बलिया में खतरा बिंदु पार कर चुकी है। नदी का पानी शहर, गांव, बस्ती, खेत, बंधा और सड़क पर फैलने लगा है। तट पर बसे लोग नदी का रौद्र रूप देख डरे सहमे हुए हैं। उनकी धड़कने बढ़ गई हैं। डूब क्षेत्र से पलायन जारी है। पीडि़तों की अनसुनी आवाजें और तीक्ष्ण दर्द का एहसास किसी र्को नहीं है।

बाढ़ प्रभावित इलाकों में शासन और जिला प्रशासन की मानवता तार-तार होती नजर आ रही है। आलम यह है कि बाढ़ विनाशकारी बन चुकी है। इसमें घुली लोगों की स्मृतियां और सालों से सहेजे गए सपने नष्ट होते नजर आ रहे हैंं। वाराणसी के निचले इलाके में रहने वाले लोग घर छोडऩे को मजबूर हैं। यही हाल गाजीपुर और बलिया के डूब क्षेत्र में रहने वालों का है। देखा जाए तो बाढ़ और कटान का कहर पीढिय़ों से नहीं, सदियों से नदी के तटवर्ती इलाके में रहने वाले लोगों के जख्म हरा करने की परंपरा को निभाता आ रहा है। यहां रहने वाले लोगों का न किसी से बैर, न किसी से राड़, फिर भी इनकी जिंदगी बेहाल। गंगा की क्रुर लहरें कब किससे कैसा व्यवहार करेेंगी यह कहना कठिन है?

गाजीपुर- बलिया राष्ट्रीय राजमार्ग गाजीपुर घाट के पास बेसो नदी में बाढ़ का पानी आने से बंद कर दिया गया है। एनएच पर आवागमन ठप है। यही हाल कामाख्या धाम मार्ग का है। इस मार्ग पर आवागन बंद हाने से श्रद्धालु देवी मां के मंदिर तक भी नहीं पहुंच पा रहे हैं। रेवतीपुर इलाके में दर्जनों सपर्क मार्ग, खेत, पगडंडी एवं सीसी रोड भी बाढ़ के पानी से डूब गए हैं। नदी के तटीय इलाके में हजारों एकड़ सब्जी की खेती और केले की खेती बाढ़ के पानी से लबालब भर गए हैं। किसानों को भारी नुकसान हुआ है। उधर यही हाल बकसर बिहार जनपद का है। बकसर में गंगा नदी खतरा बिंदु पार करने के बाद शहर में प्रवेश करने लगी हैं। प्रसिद्ध घाटों की सीढ्य़िां डूब चुकी हैं। खासकर रामरेखा घाट, ताड़का नाला से सटे नाथ बाबा मंदिर के घाट, गोला घाट समेत अन्य घाटों पर नदी का पानी तेजी से टकराने लगा है। किला पर बोल्डर बिछाने के बावजूद धीमी गति से कटान जारी है।

बलिया जनपद में भी बाढ़ का खासा असर देखने को मिल रहा है। कोटवानाराणपुर, नसीरपुर मठिया, उजियाद-भरौली, लक्ष्मणपुर, सुरहीं, नरहीं आदि इलाके में बाढ़ का पानी भरने से हजारों एकड़ फसल, परवल और सब्जी की खेती डूब चुकी है। नरहीं से चितबड़ागांव के बीच का दियारा क्षेत्र गंगा के साथ ही टोंस नदी के पानी से भर गया है। कई मार्ग भी डूब चुके हैं। यही हाल फेफना से लेकर बलिया तक एनएच के किनारे तक बाढ़ का पानी पहुंच चुका है। बलिया शहर के कई निचले हिस्से में पानी भर गया है। उधर कदम चौराहे से लेकर दुबहड़, बसरिकापुर, दोपहीं, नीरूपुर, हल्दी, सीताकुंड से लेकर मझौंवां, रामगढ़ होते हुए बैरिया ते बाढ़ का असर देखने को मिल रहा है। कई जगह गंगा नदी का पानी एनएच से टकरा रहा है। गंगा नदी की गोद में जमीन खरीदकर बसे लोग अपनी गलतियां नहीं जानते या नहीं मानते। लेकिन डूब क्षेत्र में पानी भर जाने से हर साल की तरह इस बार भी सिसकियां भर रहे हैं।

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