अपनी कविताओं से कवियों ने बांधा समा

“कहीं जाड़ा सताए है, कहीं सूरज बरसता है।
कोई महफिल में है डूबा, कोई तन्हा तरसता है..।”

बलिया। महर्षि भृगु की तपोस्थली पर नामचीन रचनाकारों ने रविवार को अपनी रचनाओं से लोगों को खूब हंसाने और गुदगुदाने का काम किया। शहर के तीखमपुर स्थित स्नेह पैलेस में कोरोना गाइडलाइंस का पालन करते हुए एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसकी शुरुआत उन्नति चौरसिया के सरस्वती वंदना की। तत्पश्चात साक्षी शुक्ला ने भजन सुनाकर गोष्ठी को ऊंचाइयां दी। फिर यह काव्य गोष्ठी भक्ति की सरिता में गोते लगाने लगी।

विस चुनाव की डुगडुगी बजने एवं बढ़ते कोरोना के कारण बृहद सम्मेलन न होने से विक्रमशिला विद्यापीठ ने टीडी कालेज के संगीत प्रवक्ता व मशहूर गीतकार अरविंद उपाध्याय को डाक द्वारा विद्यावाचस्पति सम्मान भेजा था। अतः गोष्ठी में उन्हें अतिथियों द्वारा सम्मान पत्र प्रदान किया गया। अध्यक्षता करते हुए अशोक पत्रकार ने उनके व्यक्तित्व की चर्चा करते हुए कहा कि कविता व गीत समाज को जोड़कर सदैव नई दिशा देती है। मुख्य अतिथि जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण संकाय के अध्यक्ष डॉ दयालानंद राय जी गोष्ठी की प्रासंगिकता को रेखांकित उपाध्याय के कृतित्व पर प्रकाश डाला। कहा कि जनपद में सम्मान पाएं कवियों, साहित्यकारों में एक और नाम गायक का भी जुड़ गया। इससे संपूर्ण जनपद गौरवान्वित है। रस परिवर्तन कर कुंवर सिंह इंटर कॉलेज के उपप्रधानाचार्य डॉ शशि प्रेमदेव ने ‘आ गए हैं लौट के सुहाने दिन सर्दियों के’ सुनाकर गोष्ठी में समां बांध दिया। संचालन कर रहे डॉ नवचंद्र तिवारी ने मौसम को निशाना बनाते हुए गजल ‘कहीं जाड़ा सताए है, कहीं सूरज बरसता है। कोई महफिल में डूबा है, कोई तन्हा तरसता है’ सुनाई तो सभा तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठी।

शिवजी पांडे रसराज के गीत ‘बड़ा प्यारा लगे पिया जी का गांव रे’ ने गोष्ठी में चार चांद लगा दी। म्यूजिक प्लानेट के आनंद जी वर्मा व श्याम सुंदर वर्मा ने हारमोनियम व तबले के साथ व्यवस्था पर तंज कसते हुए युगल गीत ‘कहीं खोहो नईखे अब कहां जइबा सुगनवा’ व तेरे आने से यह घर महके’ सुनाया तो श्रोता झूमने लगे। गुलशन कुमार के गाए गीत ‘सांसों की माला में सिमरु मैं पी का नाम’ ने इंद्रधनुषी छटा बिखेर दी तो अरविंद उपाध्याय के सुर – लय से सजे मधुर गीत ‘झनक – झनक तोरी बाजे पायलिया’ ने वाही लूटी। इस अवसर पर श्री अनंत शुक्ला , संजीव कुमार यादव, जयप्रकाश , इंजी प्रभात उपाध्याय , देवेश उपाध्याय, श्याम वर्मा , अनिल , रंजीत कुमार ,धर्मराज गुप्ता आदि थे। अंत में सनबीम स्कूल के शिक्षक व कवि डॉ नवचंद्र तिवारी ने सबका आभार व्यक्त किया।

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