सियासी मैदान: बेल्थरारोड में राजनीति को धार दे रहे दिग्गज..

दिग्विजय “दानवीर”

नगरा। भोजपुरी कहावत है , “जवन गति तोरी -तवन गति मोरी..” । कुछ ऐसी ही स्थिति 2022 के चुनाव में यहां देखने को मिल सकती है। 2017 का चुनाव सपा को अपनों के कारण हारना पड़ा था। ठीक वैसी ही स्थिति सत्ता दल के साथ होने की आशंका है। यहां भी विस चुनाव की तैयारी अभी से चल रही है। दिग्गज जमीन तैयार करने के साथ ही सियासी धार तेज करने में जुटे हैं।

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एक दशक पूर्व बेल्थरारोड विधानसभा क्षेत्र की सीयर के नाम से पहचान थी। 2011 कि जनगणना ने सीयर को हजम कर गई। इसके.बाद बेल्थरारोड ने जन्म लिया। यही नहीं एक कद्दावर नेता को कर्म क्षेत्र से बेदखल करने के लिए गहरी षणयंत्र के तहत बेल्थरारोड को अनुसूचित विधानसभा क्षेत्र का तमगा दे दिया गया।

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जमीनी कद्दावर नेता छटपटाते रहे, लेकिन षणयंत्रकारी सफल रहे । कद्दावर नेता की मदद को पार्टी के आला कमान नेता भी नहीं खड़े हुए ।अंततः कद्दावर नेता को आला कमान के व्यवहार से ठेस पहुंची और राजधानी लखनऊ से कर्म क्षेत्र में कदम रखते ही कुछ घण्टों के मेहमान रहे ।षणयंत्रकारी ने सीयर से कद्दावर नेता को बेदखल करने के चक्कर में सीयर ही नहीं, पूर्वांचल के पिछड़ो को अनाथ बना दिया। क्योंकि कद्दावर नेता पूर्वांचल के पिछड़ों की आवाज थे। उधर षणयंत्रकारी को भी जनता दो चुनावों से पटखनी दे रही ।

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परिसीमन के बाद 2012 में सपा और 2014 में भाजपा विजयी रही। वैसे 1952 में भी यह क्षेत्र अनुसूचित रहा। जब 1957 में रसड़ा अनुसूचित हुआ तो यह सामान्य बना। इस विधानसभा पर ढाई दशक अगड़े तो इतने ही पिछड़ों का कब्जा रहा। 2022 में इस सीट पर किस दल का कब्जा होगा, यह बता पाना मुश्किल है ? लेकिन कयास लगाया जा रहा कि सत्ता पक्ष के लिए यह सीट आसान नहीं है। यदि सुभासपा का समझौता सपा से हो जाता है और सपा के लोग भितरघात नहीं किए, तो अन्य दलों की राह कठिन हो जाएगी। वैसे उम्मीदवार पर भी लड़ाई निर्भर करेगी। इस बार भी लड़ाई त्रिकोणात्मक हो सकती है, लेकिन बहुत पहले कहना उचित नहीं होगा। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इस बार भी मुख्य केंद्र में सपा -भाजपा ही रहेगी। ऐसा जनता का रुझान बता रहा है। सत्ता दल के कार्यकर्ता उपेक्षा से क्षुब्ध हैं। यही स्थिति रही तो चुनाव पर असर पड़ेगा। यदि परिवर्तन हुआ तो, हो सकता है सत्ता दल के नाराज कार्यकर्ता भी दल के प्रत्याशी के साथ जुट जाए। विधानसभा चुनाव में अभी देर है, कब क्या होगा कहा नहीं जा सकता ? वैसे सपा और भाजपा में अभी से टिकट लेने के लिए लखनऊ व दिल्ली की दौड़ जारी है ।

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