रसड़ा विस : पहले विकास.. फिर विधायक चुनते हैं वोटर

विकास करने वाले को अपना मत देती है जनता..
बलिया। उत्तर प्रदेश की राजनीति सिर्फ और सिर्फ जाति और धर्म की राजनीत है। यहां सिर्फ जाती आधारित वोट पार्टियों को मिलता है। उससे बाहर आ भी गए तो आपका इंतजार धर्म के ठेकेदार आपको धर्म का पाठ ऐसा पढ़ा देंगे कि आपके समाज का वोट दो फाड़ में अपने आप बट जाएगा। या यू कहे वोटों का ध्रुवीकारण हो जाएगा। मुद्दों की राजनीति यहां कभी हुआ करता था। ऐसा राजनीतिक विश्लेषक सत्तर के दशक मे मानते थे।
लेकिन आज भी यूपी के बलिया में एक ऐसा विधानसभा है, जहां काम (विकास) पर वोट मिलता है। मुद्दा और उसके निवारण पर मतदाता वोट करते हैं। यहां यह परिपाटी पिछले दो चुनावों से देखने को मिल रही है। जनता अपने मताधिकार का प्रयोग कर कर विकास करने वाले को ही विधानसभा भेजती है।
जी हाँ बिल्कुल सही जान और समझ रहे है आप..। हम बात कर रहे हैं जिले की रसड़ा विधानसभा सीट की। यहां कुछ ऐसा ही है। पिछले दो चुनावों से लगातार यहां बसपा के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है।
रसड़ा विधानसभा सीट घोसी संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है। यह बलिया जनपद का सबसे विकसित तहसील है। इस विधानसभा में 2012 के आकड़े के हिसाब से कुल 305817 मतदाता थे। जिसमें पुरुष मतदाताओँ की संख्या एक लाख 69 हजार 246 है। जबकि महिला मतदाताओँ की संख्या एक लाख 36 हजार 549 है।
इनमें 30-39 साल के मतदाताओं की संख्या 83 हजार से अधिक थी और 20-29 साल के युवाओं की संख्या 76 हजार से अधिक। मतलब युवा वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है, जो काम पर ही वोट करते हैं।
चुनावी परिणामों को देखें तो 1985 में कांग्रेस के हरदेव यहां से विधायक बने। 1989 में कांग्रेस के राम बचन विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे। 1991 में यह सीट जनता दल के पास गई।1993 में घूरा राम बहुजन समाज पार्टी से इस सीट पर जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे। 1996 में अनिल कुमार भारतीय जनता पार्टी से जीते। 2009 में घूरा राम ने फिर बसपा से जीत दर्ज की।2007 में एक बार फिर घूरा राम को बहुजन समाज पार्टी से आशीर्वाद मिला और विधायक बने। 2012 में इस सीट पर बीएसपी से उमाशंकर सिंह पहली बार विधायक बने। 2017 में दोबारा उमाशंकर सिंह बीएसपी के खाते में यह सीट डालकर विधानसभा पहुंचे। 2017 के विधानसभा चुनाव में रसड़ा सीट पर बसपा के उमाशंकर सिंह बड़े अंतर से विजयी हुए थे। 2002 से 2017 के चारों चुनावों में बसपा उम्मीदवारों ने बाजी मारी। 1996 में यहां से भाजपा उम्मीदवार जीते थे। ऐसे में देखा जाय तो बलिया की रसड़ा विधानसभा बसपा का गढ़ समझा जाता है।पिछले चुनावों में यूपी में मोदी लहर देखी गई थी। इसके बावजूद भी यह सीट बसपा के खाते में आई थी। दूसरे नंबर पर भाजपा के राम इकबाल सिंह थे और जीत का अंतर 33 हजार से ज्यादा था। तब सपा तीसरे स्थान पर थी।

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