“बलिया” में जल्द ही सुधरेगा “एनएच-31” का हाल, “एनएचएआई” ने उठाया बड़ा कदम

बलिया। गाजीपुर से मांझी घाट तक राष्ट्रीय राजमार्ग-31 के निर्माण में तेजी नहीं लाने पर एनएचएआइ के अधिकारियों ने जयपुर की कंपनी का भुगतान रोक दिया है। कंपनी ने कोरोना का हवाला देकर निर्माण के लिए धनराशि के भुगतान की मांग की थी। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने गाजीपुर से बलिया के मांझी घाट तक सर्वे कर कंपनी की लापरवाही की रिपोर्ट मंत्रालय को भेजी है। उसमें कहा गया है कि कंपनी की लापरवाही से बलिया की बड़ी आबादी को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी जब तक कार्य में तेजी नहीं लाती, उसके सभी भुगतान रोक दिए गए हैं। इसके बाद कंपनी के जिम्मेदारों ने अगस्त से कार्य


अब तो केंद्र और प्रदेश दोनों में भाजपा फिर भी!
बलिया।
ज्ञात हो कि एनएच-३१ की जर्जर दशा आज डेढ़ दशकों से बदस्तूर है। इस पर जब-जब जनप्रतिनिधियों से सवाल पूछा जाता था तो जवाब यही मिलता था कि हमारी सरकार प्रदेश में है केंद्र में नहीं या फिर हमारी सरकार तो केंद्र में हैं, लेकिन प्रदेश सरकार काम नहीं करने दे रही है। लेकिन बीते २०१७ से यदि बात करें तो चार साल से केंद्र में भी भाजपा की सरकार है और प्रदेश में भी भाजपा की सरकार है। फिर भी एनएच -३१ का यह हाल अपने आप में सरकार की कार्यशैली पर सवालिया निशान है।

एक साल पहले हुआ था टेंडर
बलिया।
एक साल पहले जयपुर की कंपनी कृष्णा इंफ्रास्ट्रक्चर को 102 करोड़ में गाजीपुर से बलिया के मांझी घाट तक 130 किमी के मरम्मत कार्य के लिए टेंडर दिया गया था, लेकिन कंपनी ने एक साल में मात्र 20 किमी सड़क का निर्माण कराया है। गड्ढ़ायुक्त एनएच के निर्माण को लेकर लंबे समय से लोग आंदोलन कर रहे हैं। राजनीतिक मंचों पर भी राष्ट्रीय राजमार्ग-31 के निर्माण को राजनीति शुरू हो चुकी है।

बेलहरी के बाद से राह चलना हुआ जानलेवा
बलिया।
बेलहरी से बैरिया, मांझी घाट तक करीब 30 किमी में सड़क मरम्मत में विलंब हो रहा है, इससे सड़क सौ फीसद खराब हो चुकी है। भाजपा के पूर्व सांसद भरत सिंह के गांव नवका टोला के सामने गड्ढ़े बन गए हैं। खराब सड़क के कारण लोग दुर्घटना का शिकार भी हो रहे हैं। लगभग पांच हजार वाहनों का रोज परिचालन होता है।

वर्जन:
कार्यदायी एजेंसी का भुगतान रोका गया है। कंपनी के लोगों ने आठ या 10 अगस्त से त्वरित गति से कार्य करने के लिये कहा है। यदि कंपनी कार्य में तेजी नहीं लाती है तो कार्रवाई के लिए मंत्रालय को लिखा जाएगा।
— योगेंद्र प्रताप सिंह, प्रोजेक्ट मैनजर, एनएचएआई

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