कृषि कानूनों के वापसी पर जल्द लगेगी मुहर, जाने कब होगी कैबिनेट की बैठक..?

गाजियाबाद। यूपी में विधानसभा चुनाव- 2022 सामने है। इसके मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक साल से आंदोलित किसानों की मांगों को मानते हुए। तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा की है। सरकार तीनों कृषि कानूनों को बहुत जल्द वापस लेगी। इसके लिए योजना तैयार की गई है। 24 नवंबर दिन बुधवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने वाले विधेयक को मंजूरी दी जा सकती है।
तीन कृषि कानूनों एवं किसान आंदोलनों का असर यूपी के साथ-साथ पंजाब में भी देखने को मिल रहा था। बीजेपी सरकार की किरकिरी हो रही थी। अब कृषि कानूनों को वापस लेने वाले विधायकों को 29 नवंबर से शुरू होने वाले संसद के शीत सत्र में मंजूरी के लिए रखा जाएगा। सरकारी सूत्रों का मानना है कि सरकार जल्द ही किसानों पर दर्ज मुकदमों की वापसी की प्रक्रिया भी शुरू कर सकती है। केंद्र सरकार के इस लचीलापन रुख को देखते हुए किसान संघों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा ने भी आगे की रणनीति पर फैसला 27 नवंबर तक टाल दिया है। उधर किसानों को लेकर विधानसभा चुनाव तक राजनीति करने वाली पार्टियों को अब किसी नए मुद्दे की तलाश है।

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कृषि कानूनों के साथ किसानों के अन्य जायज मांगों को भी पूरा करे सरकार : मायावती

लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव में किसानों को अपने पक्ष में करने के लिए सभी प्रमुख दलों ने इस मुद्दे को आगे कर दिया था। पीएम नरेंद्र मोदी के कृषि कानून वापस लेने के बाद सभी दल इसे भुनाने में जुटे हैं। इसके तहत बीएसपी चीफ मायावती ने ट्विटर पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंदोलित किसानों की मांगों को मानते हुए तीन कृषि कानूनों को रद्द तो कर दिया, लेकिन किसानों की अन्य जायज मांगों का भी समाधान जरूरी है।
बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने आंदोलित किसानों की अन्य मांगों को भी पूरा करने के लिए केंद्र सरकार से अपील की है। कहा कि कृषि कानून को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं पर लगाम लगे, ताकि किसानों में निराशा पैदा न हो। किसान पूरी तरह संतुष्ट होकर अपने- अपने घर वापस लौटें।

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संसद में कृषि कानून वापस होने तक जारी रहेगा आंदोलन : राकेश टिकैत

लखनऊ। इको गार्डन पार्क लखनऊ पर संयुक्त किसान मोर्चा के महापंचायत में भाकियू नेता राकेश टिकैत पहुंचे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कृषि कानून को वापस लेने का ऐलान कर चुकी है। इसके बाद भी जबतक कानून वापस नहीं लिया जाता संयुक्त किसान मोर्चा आंदोलन करता रहेगा। उन्होंने किसान आंदोलन के दौरान मृत 730 किसानों को शहीद का दर्जा दिए जाने की मांग की। राजधानी पहुंचे किसान नेता राकेश टिकैत ने केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करने की भी मांग की। कहा दूध के लिए भी एक नीत आ रही है। उसके भी हम खिलाफ हैं। बीज कानून भी है। हम सब पर बातचीत करना चाहते हैं। संयुक्त किसान मोर्चा फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून बनाने पर अड़ा है। मोर्चे की ओर से कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार लगातार इस मुद्दे पर किसानों को गुमराह कर रही है कि एमएसपी लागू थी, लागू है और लागू रहेगी। जबकि हकीकत यह है कि किसानों की उपज औने -पौने दामों पर खरीदी जा रही है। संसद से कृषि बिल पास होने और कानून बनने के बाद से किसानों का आंदोलन चल रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा अब लखनऊ में हुंकार भर रहा है। मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष हरिनाम सिंह वर्मा का कहना है कि कृषि कानून वापस लेना चुनावी जुमला भर है। कहा कि कृषि कानून संसद में पास हुए थे, तो संसद से ही वापस होने चाहिए। इसके लिए टेलीविजन पर बयानबाजी करने की जरूरत नहीं है। जबतक एमएसपी पर कानून बनाकर इसे लागू नहीं किया जाएगा तबतक किसान मानने वाले नहीं हैं। किसान पंचायत में बिजली, डीजल, महंगाई आदि पर भी बात हुई।

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काले कानूनों की वापसी किसानों की जीत और अहंकार की हार है : अखिलेश यादव

लखनऊ। पिछले एक साल से आंदोलन कर रहे किसानों के दबाव में कृषि कानून वापस लेने का फैसला टिकाऊ नहीं है। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी का दिल साफ नहीं है। विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा फिर से कृषि बिल लेकर आ सकती है। उन्होंने कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले को किसानों की जीत बताया। साथ ही इस बात की आशंका भी जताई की चुनाव नजदीक होने के कारण बीजेपी सरकार ऐसा कर रही है। चुनाव बाद सरकार पुनः ऐसा बिल ला सकती है। बीते शुक्रवार की सुबह पीएम नरेंद्र मोदी ने घोषणा किया कि सरकार तीन कृषि कानून वापस लेगी। सपा मुखिया ने कहा कि भाजपा को जनता माफ नहीं करेगी, बल्कि अबकी चुनाव में साफ कर देगी। समाजवादी पार्टी ने अपने अधिकारिक टि्वटर हैंडल पर यह भी कहा कि सरकार के कदम पर अभी लोगों को भरोसा नहीं है। पीएम नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन के बाद सपा प्रमुख ने कहा कि काले कानूनों की वापसी अहंकार की हार और किसानों की जीत है।.

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