प्लास्टिक के उत्पादन, आयात, संग्रहण, वितरण एवं उपयोग पर सम्पूर्ण भारतवर्ष में एक जुलाई 2022 से पूर्ण प्रतिबंध लगेगा
बलिया। पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्लास्टिक के उत्पादन, आयात, संग्रहण, वितरण, परिवहन, बिकी एवं उपयोग पर सम्पूर्ण भारतवर्ष में एक जुलाई 2022 से पूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्देश जारी किया गया है।
गुरुवार को शहर के प्रमुख स्थानों पर जनजागरुकता अभियान चलाया गया। रेलवे स्टेशन पर सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर लगाए गए प्रतिबंध को प्रभावी तरीके से लागू कराए जाने के उद्देश्य से यात्रियों, कर्मचारियों एवं वेंडरों को बताया गया।
लगातार दूसरे दिन भी अभियान चलाकर इसके एकल उपाय प्लास्टिक अथवा थर्मोकोल के निर्माण, आयात, भंडारण, ब्रिकी एवं उपयोग पर पूर्ण प्रतिबन्ध एक जुलाई से लगाने की सूचना दी गई।
प्लास्टिक / थर्मोकोल के प्लेट, कप, गिलास, कटलरी के सामान जैसे कांटा, चम्मच, छूरी, स्ट्रा, ट्रे, मिठाई के डिब्बों को लपेटने के लिए पतले प्लास्टिक के शीट, आमंत्रण पत्र, सिगरेट के पैकेट की पैकेजिंग भी 100 माइकोन से कम के पीवीसी बैनर तक पर रोक रहेगी। बैलून की प्लास्टिक डंडी, प्लास्टिक की झण्डी, कैण्डी में लगी प्लास्टिक की डंडी, आईस्कीम की डंडी और (थर्मोकोल ) के सजावट में उपयोग पर भी प्रतिबंधित रहेगा।
उत्तर प्रदेश शासन की अधिसूचना के तहत समस्त प्रकार का प्लास्टिक विनिर्माण, विक्रय, वितरण, भण्डारण परिवहन आयात या निर्यात उत्तर प्रदेश राज्य की परिसीमा में पूर्णतः प्रतिबन्धित किया गया है।
इसके तहत उत्पादनकर्ता, संग्रहणकर्ता थोक एवं खुदरा विक्रेता दुकानदार, ई-कामर्स कम्पनियों, शॉपिंग सेंटर मॉल, सिनेमाघरों, पर्यटन स्थलों, विद्यालय, कॉलेज परिसर, अस्पताल परिसर के साथ सभी संस्था एवं जनता को सूचित किया जाता है कि इस पर पूर्णतः रोक लगाया जाए।
जिलाधिकारी प्लास्टिक का प्रयोग नहीं करने की दिलाई शपथ
बलिया। जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल ने गुरुवार को कलेक्ट्रेट सभागार में प्लास्टिक का प्रयोग नहीं करने की शपथ दिलाई। शपथ दिलाने के बाद उन्होंने कहा कि केंद्र व प्रदेश सरकार देश को प्लास्टिक मुक्त करने को लेकर कटिबद्ध है। उन्होंने जनपद वासियों से भी अपील की है कि प्लास्टिक का प्रयोग नहीं करें। यह वातावरण के साथ-साथ मानव जीवन के लिए भी काफी नुकसानदायक है। उन्होंने बलिया में प्लास्टिक बैंक की स्थापना करने पर भी बल दिया, ताकि उस प्लास्टिक को रिसाइकिल करके अन्य सामग्री बनाई जा सके। उन्होंने ‘प्लास्टिक वेस्ट टू आर्ट’ का भी कंसेप्ट दिया।