तिलक कुमार
लखनऊ। अब तक आपने अपराधियों का एनकाउंटर होते हुए सुना होगा, लेकिन यह खबर थोड़ी सी चौंकाने वाली है, जी हां हम यहा उस आईपीएस मणिलाल पाटिदार की बात कर रहे हैं। जिसके खिलाफ बीते 10 सितंबर 2020 को पहली बार महोबा कोतवाली में भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज हुआ था। उसके बाद से ही आईपीएस मणिलाल लगातार फरार चल रहा है। यूपी पुलिस भी उसे 11 महीने से ढूंढने में नाकाम है। आईपीएस के उपर मोस्ट वांटेड अपराधियों की तरह एक लाख का इनाम भी रखा गया है। ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि अब यूपी पुलिस आईपीएस को जिस शिद्दत से ढूंढने में जुटी है कहीं उसका एनकाउंटर न कर दें।

10 सितंबर 2020 को दर्ज हुआ था मुकदमा
आरोपित आइपीएस पर बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे में निर्माण के काम से जुड़े ट्रांसपोर्टर पीपी पांडेय ने 10 सितंबर 2020 को महोबा कोतवाली में भ्रष्टाचार का मुकदमा लिखवाया था। इससे पूर्व उन्होंने इस मामले की जुलाई 2020 में मुख्यमंत्री से भी शिकायत की थी। आरोप था कि आरोपित आइपीएस मणिलाल के कहने पर खरेला और खन्ना थाना पुलिस बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे में लगे ट्रकों से वसूली कर रही है।

हर ट्रक से दो लाख रूपए वसूली का आरोप
पाटीदार पर दर्ज एफआईआर के मुताबिक प्रत्येक ट्रक से हर माह दो लाख रुपये की मांग रखी गयी थी। रूपए न देने पर बेवजह थाने में बुलाकर उत्पीडऩ होता था। इसी मामले में खरेला थाने की पुलिस ने पांच ट्रकों को सीज किया था। इनके चालकों पर भी मुकदमा लिखा गया था। बाद में ट्रांसपोर्टर ने शहर कोतवाली में आरोपित आइपीएस के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था, उसी दिन शासन ने आइपीएस को निलंबित कर दिया था।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने की थी सख्त टिप्पणी
मणिलाल पाटीदार की गिरफ्तारी न होने पर मई में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की थी। जिसके बाद महोबा जिले से तीन और प्रयागराज जिलें से दो टीमों को भगोड़े आईपीएस की गिरफ्तारी के लिए लगाया गया है। जिसमें एसटीएफ की भी टीम शामिल है। हैरानी की बात है कि पांच-पांच टीमों के लगे होने के बावजूद अभी तक भी फरार आईपीएस गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।
