बलिया : एनएच 31 का मुद्दा कहीं बन न जाए बीजेपी के लिए 14 वर्ष का वनवास

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अंग्रेजों के जमाने का अगड़ा कब यूपी का सबसे पिछड़ा जिला बना बलिया..?

प्रशांत तिवारी की कलम से..
बलिया।
जनपद में विकास कार्यों और समस्याओं पर जब बात उठती है, तो भाजपाई देश व प्रदेश में मोदी और योगी के काम गिनाना शुरू करता है। अरे भाई! भाजपा सरकार के कार्यों के लिए पहले हम अपने जिले को देखेंगे।अगर यहां विकास हुआ है, तभी हम मान सकते हैं कि प्रदेश में विकास हुआ है। अंग्रेजों के जमाने का अगड़ा जिला, कब और कैसे यूपी का सबसे पिछड़ा जिला बन गया। यह तो सवाल यहां की जनता के लिए दम घुटने के बराबर है। मतलब क्षेत्र के विकास में 100℅ कार्य अवरुद्ध हो गए होंगे। यहां भी योगी और मोदी ही आकर काम करेंगे, तो आप क्या करेंगे साहब ? यह सवाल बलिया के जनप्रतिनिधियों से है ? उनके गुणगान पर कब तक मुद्दे को भटकाने की कोशिश और उससे भी ना बन पाए तो एक्का-दुका लोगों के पर्सनल मुद्दों को उछाल कर धरना -प्रदर्शन करवा दिया जाता है ? बाकी के लाखों लाख लोगों की समस्याओं को उस आंदोलन में दबा देने में अपनी महानता बताई जाने लगती है।
जिले के सेंकड़ों गाँव कई लाख आबादी और यहां का जनजीवन तबाह करने का ठेका पिछले पांच वर्षो मे शायद बीजेपी के मंत्री विधायकों ने ले रखा था ? जिसका खामियाजा यहां की जनता पिछले विधानसभा चुनाव से लेकर अब 2022 के चुनाव के आने के बाद तक यानी पूरे पांच वर्ष अपनी तबाही सिर्फ टकटकी लगाकर देख रहीं थी। अथवा यूं कहें कि अपनी बारी का इंतजार कर रही थी। कहीं बलिया की जनता अपने मताधिकार के द्वारा बीजेपी को जिले से बाहर ना निकाल फेंके। लिखने का मतलब ये कदापि नहीं है कि किसी के पक्ष में यह लेख लिखा जा रहा है। जिले के अंदर इतनी समस्याएं बढ़ गई है कि जिसका निवारण शायद बीजेपी के विधायकों के पास नहीं रह गया है। सबसे ज्यादा दुख तकलीफ यहां की जनता को बैरिया -बलिया सड़क मार्ग ने पिछले पांच वर्षों में दिया है। यहां का आम जनमानस वनवास में जिंदगी काट रहा है।भले ही सड़क हादसे में मौत के मामले छुपाए जा सकते हो, लेकिन नई – नई दुपहिया वाहन से लेकर चार पहिया वाहनों की खस्ताहाल इसका प्रमाण बन चुका है। वही यहां की जनता ने इन पांच वर्षों में देखा है कैसे पगपग पर मौत को दावत बीजेपी के विधायकों ने यहां की जनता को उपहार स्वरुप देने का कार्य किया है।
वैसे शुद्ध सही सलामत सड़कों का कई वर्षों से अभाव व्याप्त है। फिर भी क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को इन पांच वर्षों में कोई नेशनल हाई-वे की समस्या, समस्या की तरह दिखी ही नहीं। चुनाव के समय लंबे -लंबे प्रलोभन देकर जनप्रतिनिधि जीतकर आता है। अगले पांच वर्षों के लिए अपनी जनता को मानो वो जानता ही नहीं समझते और ना ही उनकी समस्याओं को समस्या। वर्तमान समय में प्रदेश में भाजपा योगी की सरकार पांच वर्ष पूरी कर चुकी है। जिस वक्त योगी ने राजधानी लखनऊ के मंच से मुख्यमंत्री का शपथ लिया था शायद उस वक्त जनता में यह संदेश देने की कोशिश की गई थी कि चुटकी बजाते अब समाधान हो जाएगा। पांच वर्षो का कार्यकाल लगभग बीत गया चुनाव की घोषणा हो चुकी है। वैसे भी प्रदेश में कोरोना एक ऐसा बहाना बन चुका है कि जो भी कार्यकाल बचा हुआ है वह भी इसी बहाने में इतिश्री हो गया। शायद योगीजी के मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों को यह लगता होगा कि कोरोना की वजह से जनता ही नहीं बचेगी, तो उनकी समस्याओं को क्यों ध्यान देना है ?
खैर ! हम बात कर रहे थे उत्तर प्रदेश के बलिया जिला कि जहां से कई विधायक और मंत्री योगी भाजपा सरकार से वर्तमान समय में जुड़े हुए हैं। यहां की जनता अंग्रेजी हुकूमत के समय से अपने बागी तेवरों के लिए जानी पहचानी जाती है। लेकिन वर्तमान समय में क्षेत्र के विकास की बात करें तो हालत बद से बदतर हो गई है। यहां की जनता की समस्या तो कई हैं, लेकिन मुख्य समस्या जो यहां के विकास को अवरुद्ध करते जा रही है। वह मुख्य सड़क मार्ग नेशनल हाई-वे 31 और गांव में जाने वाली सड़कों से है। एक तरफ जहां भाग दौड़ की जिंदगी में यातायात के साधन तो बढ़ते चले गए। लेकिन वह साधन साल दो साल में ही अपने खट्टारेपन को छुपा नहीं पाए। कई दर्जनों ऐसे गांव और लाखों आबादी है जो अपनी जरुरतों और चिकित्सा सुविधा को पूरा करने के लिए अपने जिले के शहर तक सही सलामत नहीं जा सकते हैं, जहां जाने के लिए और खासकर बरसात के मौसम में हर वो मशक्कत झेलनी पड़ेगी। जिसकी कल्पना शायद किसी ने कभी नहीं की होंगी।
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मुख्य सड़क मार्ग का हाल..
बलिया। बलिया से माझी को जाने वाली मुख्य सड़क नेशनल हाईवे- 31 जनप्रतिनिधियों के आपसी मलाईदार जाएका के चलते शूली पर चढ़ चुकी है।जिसकी बीते पांच वर्षों में यह सड़क मौत का कुआं बना हुआ है। इस नेशनल हाई-वे का हाल आप देखकर यह अंदाजा लगा सकते हैं कि क्षेत्र के विकास में जनप्रतिनिधि कितने कर्मठता दिखा रहे होंगे। जनता चाहे सड़क में डूबकर जाए या तैरके या मौत को गले लगाकर उससे योगी के जनप्रतिनिधियों को कोई मतलब नहीं रहा। हल्दी से लेकर माझी पुल तक सड़क पिछले कई सालों से अपनी अस्मत को बचाने में लगी हुई है। लेकिन सरकार व उनके जनप्रतिनिधि चीरहरण करने से बाज नहीं आए और शायद यही वजह है, जिसके लिए बलिया बीजेपी के लिए 14 वर्ष का बनवास बन जाएगा। चुकी जनप्रतिनिधियों ने एक सूत्री कार्य को अंजाम दिया है। खुले शब्दों में यह कह लें कि अपना काम बनता भाड़ में जाए जनता। इस कहावत को बीजेपी सरकार ने बलिया में चरितार्थ कर दिखाया।
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गांव में जाने वाली सड़कों का हाल..
बलिया। मुख्य सड़क मार्ग तो लाइलाज सड़क बन चुका है। उसके साथ ही खेतीहर किसानों को चलने वाले सड़कों का हाल यानी जिस रास्ते किसान खाद बीज लेकर अपने गांव में जाते हैं वहां भी मौत का कुआं और घुटने भर कीचड़ पानी का सामना करते हुए जाना पड़ता है। बलिया के ज्यादातर विधानसभा के गांव की बात कर ली जाए तो वहां की स्थिति कमोबेश एक जैसी यानी दयनीए है। लेकिन क्षेत्र के विधायक और सरकार में मंत्री के दरवाजे तक पहुंचने के लिए या उनके गांव में जाने के लिए सड़कों की पूरी व्यवस्था है। लेकिन आम गरीब जनता के लिए तो ज़वाब पता नहीं। शायद यही वह वजह होगी जिसकी वजह से भाजपा नेता को हर ग्रामीण क्षेत्र के सड़कों का मरम्मत वाला सपना दिन के उजाले में नजर आता है और विकास का झूठा ढिंढोरा पीटा जाता है।
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