बलिया। श्रीमद्भागवत कथा सुनने और प्रभु को अपने अंतःकरण में बसाने से व्यक्ति के जीवन में व्यापक परिवर्तन होता है। भगवान हमेशा अपने भक्तों को पाना चाहते हैं, उनके पास रहना चाहते हैं। जितना भक्त भगवान के बिना अधूरा है, उतना ही भगवान भक्तों के बिना अकेले हो जाते हैं। भगवान ज्ञानी को नहीं, बल्कि अटूट विश्वास रखने वाले भक्तों को दर्शन देते हैं। सच्चे मन पूजा करने पर भगवान प्राप्त होते हैं। उक्त बातें मालगोदाम- एलआईसी रोड स्थित नवनिर्मित भवन में चल रही संगीतमय भागवत कथा प्रेमयज्ञ के पांचवें दिन अंतर्राष्ट्रीय कथा व्यास भार्गव मुनीश जी ने प्रह्लाद चरित्र, वामन अवतार की कथा झांकियों के साथ विस्तार से बताई।कथा के दौरान एक छोटा बच्चा वामन भगवान का अवतार लेकर आया तो उपस्थित श्रद्धालुओं ने हर्ष से जयकारा लगाने लगे।कथावाचक श्री मुनीश भार्गव जी ने प्रह्लाद चरित्र व वामन अवतार प्रसंग सुनाते हुए समुद्र मंथन का पूरा वृतांत भजनों के माध्यम से सुनाया। भक्त प्रह्लाद भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहते थे। उनके पिता हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु को अपना शत्रु मानते थे। पुत्र को भगवान विष्णु की भक्ति करते देख उन्होंने उसे ही जान से मारने की ठान ली। प्रभु पर सच्ची निष्ठा और आस्था की वजह से हिरण्यकश्यप भक्त प्रह्लाद का कुछ भी अनिष्ट नहीं कर पाए। उन्होंने प्रह्लाद चरित्र की कथा बताते हुए उन्होंने कहा कि बच्चों को बचपन में ही ईश्वर भक्ति के संस्कार देना चाहिए, जिससे जीवन में ईश्वर प्राप्ति का मार्ग सुगम हो जिस तरह भक्त प्रह्लाद का हुआ।