हरिनाम संकीर्तन और सत्संग से ही कलयुग में होगा मानव का उद्धार

मानव धर्म करते हैं, कर्म भी करते हैं, लेकिन भजन में भी अश्लील गीत बजाने से शर्म नहीं करते – जीयर स्वामी
बलिया। दुबहर क्षेत्र में हो रहे चातुर्मास यज्ञ के दौरान शुक्रवार की देर शाम श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा सुनाते हुए संत लक्ष्मी प्रपन्न जियर स्वामी महाराज ने कहा कि नैमिषारण्य की धरती पर सूत जी महाराज से शौनक ऋषि ने पूछा कि कलयुग में मानव का उद्धार कैसे होगा। जिस पर कथा सुनाते हुए सूत जी महाराज ने कहा कि हरिनाम संकीर्तन और सत्संग से ही मानव का उद्धार कलयुग में होगा। सूत जी महाराज ने ऋषियों को भागवत जी के महिमा को सुनाते हुए कहा कि भागवत सभी वेद उपनिषद एवं धार्मिक ग्रंथों का सार है ।
जीयर स्वामी ने कहा कि आज का मानव धर्म भी करते हैं, कर्म भी करते हैं, लेकिन शर्म नहीं करते मनुष्य का नैतिक स्तर बहुत गिर गया है। आज भजन कीर्तन में भी लोग आधुनिक अश्लील धुन बजा कर नाच रहे हैं, जो मर्यादा के विरुद्ध है। कहा कि एडवांस युग की दुहाई देने वाले लोग कम वस्त्र पहन कर अपने आप को एडवांस बता रहे हैं।जिससे उनके संस्कार बिगड़ रहे हैं। किसी भी परिस्थिति में मनुष्य को अपनी मर्यादा संस्कृति और संस्कार को नहीं छोड़ना चाहिए।क्योंकि मनुष्य के जीवन से यह सब चले जाने के बाद उनका विनाश निश्चित है। उन्होंने बिहार के बक्सर जनपद के पावन भूमि की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि यह भूमि सतयुग से ही देवी देवताओं की जन्म स्थली रही है। वहां त्रेता में भगवान राम स्वयं यहां आकर ऋषि मुनियों की रक्षा के लिए आसुरी प्रवृत्ति के लोगों का संघार किए। कहा कि धरती पर केवल मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है। जिसके लिए कई ग्रंथ, पुराण, उपनिषद, वेद आदि की रचना के साथ कई अविष्कार किए गए। जबकि पृथ्वी पर पशुओं और अन्य जीवो के लिए आज तक कोई अविष्कार नहीं हुआ। फिर भी पशुओं ने अपना धर्म नहीं छोड़ा। लेकिन आज का इंसान विभिन्न प्रकार के आविष्कार और धर्म ग्रंथों के मौजूद होने के बावजूद अपनी मर्यादा से गिरता जा रहा है। उन्होंने भगवान विष्णु के प्रथम अवतार आदिदेव नारायण के अवतार की चर्चा करते हुए उनसे संबंधित कई प्रसंग सुनाए। इस चतुर्मास व्रत में शुक्रवार की दोपहर हरिद्वार से आए बैकुंठ नाथ जी तथा अयोध्या से पधारे माधवाचार्य जी ने भी संगीतमय रामकथा और श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण लोगों को कराया।

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