एक और जीत की जंग..

यहां मतदाताओं के चौतरफा घेराबंदी, कदम-कदम पर लगे स्पेशल नाके

बलिया। “हमेशा ये ही तो होता रहा है मेरे अज़ीज़। किसी की जीत तो कोई किसी से हार गया.।” देखा जाए तो विधानसभा चुनाव -2022 में चारों तरफ जीत की जंग छिड़ी है। इस जंग में प्रत्येक प्रत्याशी प्रतिद्वंद्वी के नाक में दम किए हुए हैं। कुछ मुख्य लड़ाई में हैं, तो कई पहले ही हथियार डाल चुके हैं।
बलिया जनपद की सातों विधानसभाओं में यूं तो जीत हार की लंबी फेहरिस्त है। लेकिन कुछ ही ऐसे जुझारू नेता हैं, जिन्होंने जनता के दिलों पर राज किया और अच्छे -अच्छों को धूल चटाई। उन्हें आज भी लोग याद करते हैं। वर्तमान समय में नेताओं की कामयाबी का राज चाहे जो भी हो, लेकिन दलगत और जातिगत राजनीति करने वाले टिकाऊ नहीं होते। उन्हें देश व समाज से कोई सरोकार नहीं होता। वह मुट्ठी भर लोगों के बारे में ही सोचते हैं। ऐसे सफेदपोश जातिवाद को बढ़ावा दे समाज में जहर घोलते हैं। अब विधानसभा चुनाव नजदीक है। एक बार फिर नेता जनता को जाति के नाम पर भड़काने व उकसाने का काम करेंगे। अपना उल्लू सीधा कर बरसाती मेढक की तरह अलोप हो जाएंगे। अब जरूरत है इस आवरण से बाहर निकलने की। तभी हमारा समाज और देश तरक्की कर पाएगा।
अततः हमें “सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय” को ही लेकर आगे बढ़ना होगा, तभी सर्व समाज का विकास संभव है। जनता ने कई बार जातिगत और दलगत राजनीति से ऊपर उठकर अपना वोट किया है। जिसका परिणाम देश हित में रहा। कई मौके आए हैं जब बागी बलिया की जनता ने भी लोकतंत्र के महापर्व में अपनी आहुति देकर मिसाल कायम की। हांलाकि लोकनायक जयप्रकाश नारायण जैसे नेतृत्वकर्ता आज नहीं हैं। लेकिन जरूरत है एक बार फिर राष्ट्रहित में कदम बढ़ाने की। उन नेताओं के कदम से कदम मिलाने की जो देश के प्रति समर्पित हैं।
अब हम बात करते हैं वर्तमान के विधानसभा चुनाव के हालात पर..। मतदान होने में चंद दिन शेष हैं। शहर से लेकर गांव-गांव तक चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। मतदाताओं की चौतरफा घेराबंदी, कदम-कदम पर लगे स्पेशल नाके। बड़े -बड़े वादे। जनता से मनुहार व गुहार। चहुंमुखी विकास की बात। सुबह बोई और शाम को काटी जा रही है। भोलीभाली जनता का मन मिजाज टटोला जा रहा है। लेकिन वोटरों का रूख साफ न होने से सभी असमंजस में हैं। वोटर भी चतुर हैं। लोगों को खुश करने के लिए उनकी हां में हां मिला रहे हैं। इतना ही नहीं एक ही घर में एक साथ विभिन्न दलों के झंडे तक लगा रहे हैं। देखा जाए तो इस बार मतदाता की नब्ज टटोलना आसान नहीं है। यह क्या करने वाले हैं, किसी को पता नहीं है ?

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