सियासी मैदान : अब फूल की सियासत..

साइकिल के बाद हाथी से भी उतरे पूर्व मंत्री, अब टिकट की बारी..
गाजीपुर। पूर्वांचल के एक और कद्दावर नेता के बीजेपी में शामिल होने से राजनीतिक गलियारे में चर्चा तेज हो गई है। गाजीपुर सदर सीट से विधायक एवं मंत्री रहे विजय मिश्रा ने लखनऊ स्थित भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय पर रविवार को दल की सदस्यता ग्रहण की। इस मौके पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह एवं उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा मौजूद रहे। पूर्व मंत्री के बीजेपी में शामिल होने से वर्तमान विधायक एवं सूबे की मंत्री डॉ. संगीता बलवंत के समर्थक तथा विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं में असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है। क्योंकि जनपद की अतिमहत्वपूर्ण सदर सीट पर टिकट किसे मिलेगा, इसे लेकर पार्टी के कार्यकर्ता व मतदाता चिंतित हैं ?
विधानसभा चुनाव – 2022 सामने है। खुद के फायदे के लिए अपनों को त्यागने और गैरों को अपनाने का खेल शुरू है। पीड़ा इस बात की है कि कुछ स्वार्थवादी एवं सत्तालोलुप सफेदपोशों की मौकापरस्त राजनीति व्यक्तिगत स्वार्थसिद्धि के लिए किसी हद तक समझौते कर रही है। समाजसेवा का मुखौटा पहने नेतागण जनता की भावनाओं को दरकिनार कर राजनीति को दुर्गति की देहरी तक पहुंचाने मैं कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। यही वजह है कि सियासी ठेकेदार जनता की रोज बोली लगाते दिखाई दे रहे हैं।जातिवाद में सिर से पांव तक डूबी जनता जाने-अनजाने उनकी शिकार भी हो रही है। जनता इनके लिए भेड़ से ज्यादा कुछ नहीं है, जो इनके इशारों पर चलती, नाचती और कूदती रहती है।
विधानसभा चुनाव करीब आते ही छोटे दलों एवं बाहुबलियों की चांदी कट रही है। क्योंकि यह समय के साथ समझौता करने में माहिर हैं। कद्दावर नेता भी इन्हीं के पद चिन्हों पर चल रहे हैं। सत्ता व पद की चाह में किसी को मझधार में छोड़ना इनके लिए आम बात है। ऐसे कई उदाहरण आपके आस-पास भी हैं।
बात करें विधानसभा चुनाव- 2022 की तो सभी अपनी- अपनी सियासी गोटी बिछा रहे हैं। पिछले एक महीने से जोड़-तोड़ की राजनीति रफ्तार पकड़ चुकी हैं। इसी कड़ी में गाजीपुर के भी इस कद्दावर नेता का नाम जुड़ गया है। पूर्व मंत्री विजय मिश्रा पहले सपा, फिर बसपा और अब भाजपा का दामन थाम लिए हैं। समाजवादी पार्टी में विधायक और मंत्री रहे विजय मिश्रा ने पिछले लोकसभा चुनाव में एकाएक पाला बदला और हाथी पर सवार हो गए। लेकिन वहां भी अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाए और हाशिए पर रहे। आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी दाल न गलने के कारण वह बसपा से किनारा कर बीजेपी में शामिल हुए हैं। देखना है कि पूर्व मंत्री विजय मिश्रा को भारतीय जनता पार्टी में राहत मिलती है या तकलीफ..।
पूर्व मंत्री की राजनीति पर एक नजर डालें तो वर्ष 2012 में विजय मिश्रा सपा के चुनाव चिह्न साइकिल पर सवार होकर विधानसभा पहुंचे। तत्‍कालीन अखिलेश सरकार में उन्‍हें राज्‍य मंत्री का दर्जा भी मिला था। अखिलेश सरकार के कार्यकाल के अंतिम दिनों में मुलायम सिंह के परिवार में हुए विवाद में विजय मिश्रा भी अखिलेश यादव के आंखों में किरकिरी बनकर चुभ गए। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्‍हें अंतिम समय तक समाजवादी पार्टी ने प्रत्‍याशी नही बनाया, तो उन्‍होंने बसपा की सदस्‍यता ग्रहण कर ली। इसके बाद से वह बसपा में रहकर राजनीति को मजबूत करने में जुटे रहे। गाजीपुर सदर विधानसभा से संभावित प्रत्‍याशी के रुप में देखा जा रहा था। इसी बीच बसपा में कुछ मजबूत दावेदारों के आने तथा टिकट कटने की आशंका से भयभीत हो विजय मिश्रा ने एक बार फिर सियासी चोला बदला और भाजपा में शामिल हो गए। ऐसा करके पूर्व मंत्री ने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया है। बीजेपी में शामिल होने पर पूर्व मंत्री के शुभचिंतक एवं समर्थकों ने बधाई दी है।

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