सियासी मैदान : अरे ! गाजीपुर में भाजपा का नया ‘क्षत्रप’ ..?

‘संगीता बलवंत’ को मंत्री बना ‘मनोज सिन्हा’ के सियासी खालीपन को भरने की कोशिश..
अलिखानंद तिवारी
गाजीपुर।
लहुरीकाशी में सियासत गर्म है। भाजपाईयों का एक धड़ा नए ‘क्षत्रप’ की तलाश में है। लेकिन उन्हें यह नहीं सूझ रहा है कि नए ‘क्षत्रप’ का चेहरा कौन होगा ? लोकसभा चुनाव हारने के बाद लंबे समय तक गाजीपुर की राजनीति में प्रभावी दखल रखने वाले मनोज सिन्हा के उप राज्यपाल बनने के बाद यहां के भाजपाई बेचैनी में हैं। कई दिग्गजों ने समय के साथ सोच बदली, तो कुछ विकल्प की खोज में अब भी भटक रहे है..।
मिशन 2022 सामने है। लोकसभा चुनाव हार चुके भाजपाई, विधानसभा चुनाव में जीत का आंकडा बढ़ाने के लिए चहलकदमी कर रहे हैं। टिकटार्थियों की कतार में टिकट किसके हाथ लगेगा, यह अभी तय होना बाकी है ? लेकिन गाजीपुर की सियासी दुनिया में लंबे समय तक प्रभावी रहने वाले मनोज सिन्हा (वर्तमान में जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल) इस बार चुनावी परिदृश्य से गायब हैं। यह पहला अवसर होगा कि राज्यपाल की मर्यादा में बंधे होने के कारण विधानसभा चुनाव में उनकी प्रत्यक्ष दखलंदाजी देखने को नहीं मिलेगी। यही कारण है कि उनके दम पर टिकट की दावेदारी करने वाले टिकटार्थी बेचैनी की हालत में हैं।
उन्हें यह सुझ नहीं रहा है कि किस दरबार में हाजिरी लगाएं कि टिकट पक्का हो जाए। अभी तक भाजपा की अंदरूनी कहानी यह कहती है कि यहां के भाजपाई दो खेमे में बंटे हैं ! एक धडा जहां मनोज सिन्हा का माना जाता है, तो दूसरा धडा एमएलसी विशाल सिंह चंचल को अपना नेता मानता है। ऐसे कई मौके पहले आए, जब यह प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप में सामने आता रहा। दल के कार्यकर्ता भी भलीभांति इसे महसूस करते रहे, लेकिन जनपद की राजनीति से मनोज सिन्हा के दूर चले जाने के बाद अब दोनों धड़े में मेल मिलाप व नजदीकियां बढ़ी हैं।
इस बीच संगीता बलवंत को मंत्री पद देकर भाजपा के शीर्ष नेतत्व ने दो निशाने साधने की कोशिश की है। एक ओर जहां बिंद वोटों को अपने पाले में खींचने की कोशिश है, तो दूसरी तरफ मनोज सिन्हा के राज्यपाल बनने से हुए गाजीपुर के सियासी खालीपन को भरने का प्रयास है। लेकिन संगीता बलवंत के मंत्री बनने के बाद भी मनोज सिन्हा के दम पर टिकट पाने वाले टिकटार्थी निश्चिंत नहीं दिखाई दे रहे हैं। यह माना जाता है कि संगीता बलवंत मनोत सिन्हा की करीबी हैं, लेकिन चंचल और योगी जी के करीबी रिश्ते भाजपा के दूसरे धडे के हौसले को पस्त करते दिखाई दे रहा है। ऐसे में दूसरा धड़ा नए ‘क्षत्रप’ की तलाश में गाजीपुर से लखनऊ और दिल्ली तक का चक्कर लगा रहा है। अब विधानसभा चुनाव से पहले टिकट का बंटवारा ही यह तय करेगा कि गाजीपुर में मनोज सिन्हा के बाद भाजपा का बड़ा चेहरा कौन होगा चंचल या…?

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