“शंकर” का मतलब है, जो कल्याण ही कल्याण करें..

बलिया। जनेश्वर मिश्र पुल के समीप चल रहे चतुर्मास महायज्ञ में भक्तों को कथा का श्रवण कराते हुए संत जीयर स्वामी ने कहा कि शंकर का मतलब होता है, जो कल्याण ही कल्याण करें। भगवान शंकर के समान ऐसा कोई नहीं है, जो धतुरा चढा दिए तो भी खुश, बेल पत्र, गंगाजल चढ़ा दिए तो भी खुश। नाराज नहीं होते। भगवान भोलेनाथ इतने बड़े हैं, सबकुछ स्वीकार कर लेते हैं। आज लोग भगवान शंकर के नाम पर गलत रास्ते अपनाते हैं।उनके नाम पर गांजा, भांग इत्यादि का सेवन कर रहे हैं। अपने से लोग लाइसेंस लेकर गांजा, भांग, शराब का सेवन करते हैं। कहते हैं भगवान शंकर के भक्त हैं। शंकर जी के नाम पर, भैरव जी के नाम पर, काली जी के नाम पर, गलत काम करना अच्छी बात नहीं है।

वैदिक परंपरा को तोड़ने मरोड़ने का अधिकार किसी को नहीं..
बलिया। जीयर स्वामी ने कहा कि लोग ऊँ हटाकर भगवान शिव को गुरु बनाते हैं। वैदिक परंपरा को तोड़मरोड़ करने का आपको कौन अधिकार दिया है। मनमाने ढंग से जीवन जीने के लिए, मनमाने ढंग से खान पान उठने-बैठन के लिए आपने अपने मन से शंकर जी के मंत्र से ऊँ हटा दिया। ऐसा ठीक नहीं है। धर्म करिए परंतु धर्म के नाम पर इधर-उधर भटकने की कोशिश मत करिए। अधर्म करने के लिए धर्म की छत्रछाया डाल दिया जाए, यह अच्छी बात नहीं है। धर्म के नाम पर भटकाव की बात आती है, अच्छी बात नहीं है।

धर्म कभी भी हमें गलत मार्ग पर चलने की आज्ञा नहीं देता..
बलिया। धर्म कभी भी हमें गलत मार्ग पर चलने की अनुमति नहीं देता है। हम समस्या से घिर चुके हैं, हम घीरने वाले हैं, उससे जो रक्षा करे वहीं धर्म है। जिसको पकड़ने के बाद, सुनने के बाद, मानने के बाद समझने के बाद हम गलत काम न करें उसी का नाम धर्म है।

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