आस्था व श्रद्धा के साथ मनी वल्लभ भाई पटेल और आचार्य नरेंद्र देव की जयंती

नेता प्रतिपक्ष ने भरी हुंकार
बांसडीह/बलिया। संपूर्ण भारत वर्ष में सरदार वल्लभभाई (झावेर भाई पटेल) और आचार्य नरेंद्र देव की जयंती रविवार को मनाई गई। प्रदेश सरकार के नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने अपने विधानसभा स्थित बांसडीह सपा कार्यालय पर दोनों महापुरुषों की जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई। इस मौके पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि देश की वर्तमान दशा , दिशा के हालात को देखकर हर कोई सोचने पर मजबूर है। लेकिन समय का इंतजार करना है। श्री चौधरी ने उक्त कार्यक्रम में देश तथा प्रदेश की हालात पर जहां हुंकार भरी, वहीं उपस्थित कार्यकर्ताओं का हौसला भी बढ़ाया। कहा कि सरदार पटेल बहुत ही लोकप्रिय थे। एक कुशल राजनीतिज्ञ रहे। उन्होंने भारतीय उप-प्रधानमंत्री के रूप में भी कार्य किया। वे एक भारतीय अधिवक्ता और राजनेता थे, जो एक भारतीय गणराज्य के संस्थापक पिता थे। जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए देश के संघर्ष में अग्रणी भूमिका निभाई।

इतना ही नहीं एकीकृत, स्वतंत्र राष्ट्र में अपने एकीकरण का मार्गदर्शन किया। भारत और अन्य जगहों पर उन्हें अक्सर हिंदी, उर्दू और फ़ारसी में सरदार कहा जाता था, जिसका अर्थ है “प्रमुख”। श्री चौधरी ने कहा कि सरदार वल्लभ भाई भारत के राजनीतिक एकीकरण और 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान गृह मंत्री के रूप में कार्य किया। स्वतंत्रता आंदोलन के ऐसे किरदार हैं, जो की इस संसार में एक अलग पहचान कायम की। किसानों के आंदोलन में भाग लेकर किसानों का समर्थन किया।गांधी जी के नेतृत्व में ब्रितानिया हुकूमत को उखाड़ फेंकने का बीड़ा उठाया था। सरदार पटेल ने खुद पंडित नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया। ऐसे त्यागी पुरुष थे सरदार वल्लभ भाई पटेल।आजादी के बाद सभी 562 रियासतों को एक – एक कर भारत को एक कराया और भारत को एक सूत्र में पिरोया। हैदराबाद के निजाम व जूनागढ़ भारत का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे, उन्हें उन्होंने एक किया। श्री राम गोविंद ने संबोधन में कहा कि मैं तो बस यही कहता हूं कि खंड – खंड भारत को अखण्ड बनाने का नाम सरदार वल्लभ भाई पटेल है।

मैं उनके जन्मदिन पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। कहा कि आइए एक साथ संकल्प लेते हैं कि सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर इस सरकार को उखाड़ फेंका जाए। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि वल्लभ भाई कोई मामूली व्यक्ति नहीं थे। धरती पर उनके जैसा कोई पैदा नहीं हुआ। ऐसे महापुरुष बार- बार जन्म नहीं लेते हैं। आजादी की लड़ाई में सबसे पहले किसानों की लड़ाई लड़ी और किसानों की फौज खड़ी कर दी। आरएसएस द्वारा दो लोगों को मारने की योजना थी। गांधी की हत्या हुई और जब इस बात का पता सरदार वल्लभ भाई को चला तो उन्होंने आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया। कहा कि आचार्य नरेंद्र एक समाजवादी, विचारक, शिक्षाशास्त्री और देशभक्त रहे। राम गोविंद प्रदेश सरकार के नेता प्रतिपक्ष ने आचार्य नरेंद्र देव के व्यक्ति एवं कृतित्व पर भी प्रकाश डाला। कहा कि नरेंद्र देव भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, साहित्यकार, समाजवादी, विचारक और शिक्षाशास्त्री थे। हिन्दी, संस्कृत, फ़ारसी, अंग्रेज़ी, पाली आदि भाषाओं के ज्ञाता नरेन्द्र देव स्वाधीनता आन्दोलन के दौरान कई बार जेल भी गए। विलक्षण प्रतिभा और व्यक्तित्व के धनी आचार्य नरेंद्रदेव उच्च कोटि के निष्ठावान अध्यापक और महान शिक्षाविद् थे। वाराणसी स्थित काशी विद्यापीठ में आचार्य बनने के बाद से ‘आचार्य’ की उपाधि उनके नाम का एक अभिन्न अंग बन गई। देश की आजादी का जुनून उन्हें स्वतंत्रता आन्दोलन में खींच लाया।कार्यक्रम में मुख्य रूप से
श्रीप्रकाश पटेल, अंशु, उपेंद्र पटेल, भोला पटेल, संजय पटेल, सुरेंद्र पटेल, रणजीत पटेल, मुन्ना पटेल, अवनीश पटेल आदि रहे।
अध्यक्षता भुनेश्वर पटेल व संचालन अवनीश उत्तम पटेल ने किया।

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