पोस्टकार्ड अभियान : डीएम व एसपी पर त्वरित कार्रवाई की मांग

प्रेस परिषद, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल व मुख्यमंत्री को भेजा पत्र

बलिया के तीन निर्दोष पत्रकारों पर दर्ज मुकदमा खत्म करने की मांग
बलिया। यूपी बोर्ड परीक्षा लीक मामले में जिले के तीन निर्दोष पत्रकारों पर फर्जी तरीके से मुकदमा दर्ज कर जेल भेजे जाने के मामले में आम जनता, व्यापारी, जनप्रतिनिधि व अधिवक्ता जनपद के भ्रष्ट अफसरों पर कार्रवाई का मन बना चुके हैं। “पोस्टकार्ड अभियान” के दूसरे दिन रसड़ा कस्बे के जनप्रतिनिधि व पत्रकारों ने इस घटना के लिए जिम्मेदार जिले के डीएम व एसपी पर त्वरित कार्रवाई करने के लिए प्रेस परिषद, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल व मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। आम लोगों का यह अभियान अब धीरे- धीरे रंग ला रही है।

शुक्रवार को रसड़ा तहसील के नगरा क्षेत्र के पूर्व प्रधान, व्यवसायी व जनप्रतिनिधि द्वारा पोस्टकार्ड अभियान की शुरुआत करते ही रसड़ा में भी यह अभियान लोगों द्वारा तेज कर दिया गया है। आम लोगों में भी यह धारणा बनते जा रही है कि जो प्रशासन देश के चौथे स्तम्भ के साथ ऐसा कर सकता है, वह आम नागरिकों के हितों की रक्षा कैसे करेगा है ? यह पिछले एक माह से जिले में दिख रहा है।
बता दें कि बलिया पेपर लीक मामले में तीन निर्दोष पत्रकारों को जिला व पुलिस प्रशासन द्वारा आनन-फानन में फर्जी मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा गया। जिसमें वरिष्ठ पत्रकार अजीत ओझा, दिग्विजय सिंह और मनोज गुप्ता शामिल हैं। इन्हें सच उजागर करने और पेपर लीक मामले में प्रमुखता से खबर प्रकाशित करने के लिए 28 दिनों तक जेल में भी रहना पड़ा है।
बता दें कि सच्चाई जानने के बाद शासन के निर्देश पर दर्ज अपराधिक कुछ मुकदमे भी हटाए गए हैं, जिससे सभी पत्रकार साथी जमानत पर रिहा हो चुके हैं। लेकिन जनपदवासी अब भी आहत हैं।

क्योंकि पत्रकारों पर दर्ज मुकदमे पूरी तरह से खत्म नहीं हुए हैं और न ही सामूहिक नकल शामिल, पेपर लीक में लिप्त और परीक्षा केंद्रों को खुलेआम बेचने वाले बलिया के डीएम इंद्र विक्रम सिंह और भ्रष्ट पुलिस कप्तान राजकरन नैय्यर सहित अन्य जिम्मेदार अफसरों पर अभी तक कोई कार्रवाई शासन स्तर से नहीं की गई है। इतना ही नहीं आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे ये अधिकारी खुद के बचाव में नित्य नए साजिश रच रहे हैं, जो मौका मिलते ही पत्रकार, व्यापारी, छात्र, शिक्षक आदि को फंसाने का काम कर सकते हैं। क्योंकि पत्रकारों के आंदोलन में अन्य संगठनों के लोग भी शामिल रहे हैं। यह अब जन आंदोलन का रूप ले चुका है।
लोगों ने पत्र के भेजकर उन्होंने मांग की है कि पत्रकारों के उपर दर्ज फर्जी मुकदमे स्पंज किए जाये और कलम को आजाद किया जाए। साथ ही भ्रष्ट अफसरों पर त्वरित कार्रवाई हो और उन्हें दंडित किया जाए और इनके चल -अचल संपत्तियों की जांच हो।

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